मुख्य धन्धे-चन-सम्पत्ति कारण गरम प्रदेशों में वनों के कारण समीपवर्ती प्रदेश का तापक्रम कम हो जाता है। ४-वन पानी को खेती के लिए सुरक्षित रखने और उसका भली प्रकार नियंत्रण करने में भी सहायक होते हैं । वृक्षों की अगणित जड़ें भूमि में असंख्य सूक्ष्म छिद्र कर देती है और वहां की भूमि एक विशाल स्पंज के समान बन जाती है जो वर्षा के अतिरिक्त जल को सोख लेती है और इस प्रकार पृथ्वी के गर्भ में जो जल श्रोत बह रहा है उसको ऊँचा उठा देती हैं। इसका परिणाम यह होता है खेती की सिंचाई के लिए जो कुयें खोदे जाते हैं उनमें पानी कम गहराई पर ही निकल आता है जिसके कारण सिंचाई - में सुविधा होती है और व्यय कम होता है। ५-जिस प्रदेश पर वन होते हैं वहाँ की भूमि उपजाऊ बन जाती है क्योंकि उस पर पत्तियां, घास, पौधे इत्यादि उत्पन्न होकर फिर सड़ गल और सूख कर मिट्टी में मिलते रहते हैं अतएव वहाँ की भूमि उपजाऊ बन जाती है। ६-वन तेज हवाओं को रोक कर उनकी गति धीमी कर देते हैं जिससे वे खेती तथा आबादी को हानि नहीं पहुंचा पाती । अप्रत्यक्ष लाभों के साथ-साथ वनों से हमें बहुत प्रत्यक्ष लाभ भी चनों से होने १-वनों से हमें बहुत प्रकार की बहुमूल्य घाले प्रत्यक्ष लाभ लकड़ी मिलती है जिसका उपयोग इमारतों, जहाजों, (Direct- रेल के डिब्बे, रेलवे-स्लीपर, फर्निचर, खिलौने advantages इत्यादि के बनाने में होता है। of Forests) . २-वनों से हमें कागज़, दियासलाई, तारपीन का तेल, बीरोज़ा, लाख, . रखर, गोंद, गटापा , कपूर, चमड़ा कमाने के लिए फल और छाल ( Tanning material ) ऐल्काहल, बनाने के लिए उपयोगी पदार्थ . मिलते हैं। ३-वनों से हमें बहुत प्रकार की जड़ी-बूटी मिलती हैं जो औषधियों के काम में आती हैं। ४-वनों में जंगली जानवर मिलते हैं जिनकी खाल उपयोगी होती है। ५-वनों में चारे का अटूट भंडार होता है जिससे वहाँ दूध, घी मक्खन का धंधा खूब पनपता है और पशुपालन खूब होता है। .
पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/९६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
८३
मुख्य घंघे-वन- सम्पति