.' पाँचवाँ परिच्छेद मुख्य धंधे-बन-सम्पत्ति ( Forests ) ' यह तो पहले ही कहा जा चुका है कि मनुष्य की उन्नति के लिए वन अत्यन्त आवश्यक है। यही नहीं कि वनों से हमें बहुमूल्य लकड़ी मिलती है वरन् भाँति-भांति के अन्य पदार्थ भी मिलते हैं जिन पर बहुत से धंधे निर्भर हैं। यहाँ तक कि वनों का देश की जलवायु तथा भूमि पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है । सच तो यह है कि आधुनिक सभ्यता के लिए क्न अत्यन्त आवश्यक हैं। प्रारम्भ में मनुष्य ने मुर्खतावश वनों को नष्ट कर दिया परन्तु अब प्रत्येक देश में वनों की रक्षा तथा उनकी उन्नति करने का प्रयत्न किया जाता है। प्रत्येक देश में वनों की उन्नति तथा रक्षा करने के लिए वन-विभाग स्थापित कर दिए गए हैं जो उनकी देख भाल करते हैं। यद्यपि आधुनिक सभ्यता के प्रादुर्भाव के साथ ही मनुष्यों ने वनों को . नष्ट करना आरम्म कर दिया और पुराने घने श्राबाद • धनों से होने देशों में बहुत से बहुमूल्य वन काट कर साफ कर __ वाले लाभ दिए गए किन्तु आश्चर्य की बात है कि आधुनिक औद्योगिक सभ्यता वन सम्पत्ति पर बहुत अधिक निर्भर है। इस सत्य को सबसे पहले मैंच तथा जर्मन वैज्ञानिकों ने आज से सवा दो सौ वर्ष पहले मालूम किया और उन्होंने बनों को काटने के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठाई । जर्मनी और फ्रांस में वनों को नष्ट करने का कार्य रोक दिया गया और वहां उनकी रक्षा की जाने लगी। इसके उपरान्त . संसार के सभी राष्ट्रों ने वनों के राष्ट्रीय महत्व को समझा और वनों की रक्षा के लिए प्रयत्न प्रारम्भ हुए। आज का सभ्य पुरुष वनों की सम्पत्ति का जितना उपयोग करता है उतना वनों में रहने वाला असभ्य मनुष्य वनों का उपयोग नहीं करता था | श्राधुनिक सभ्यता वनों के नष्ट हो जाने पर थोड़े दिन भी जीवित नहीं रह सकती। वनों का लाभ केवल इतना ही नहीं है कि हमें उनसे मूल्यवान पदार्थ मिलते हैं .वरन् उनका प्रभाव देश के समस्त आर्थिक जीवन पर बहुत गहरा पड़ता है। वनों से हमें कुछ तो प्रत्यक्ष आ० भू०-११
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पांचवां परीच्छेद
मुख्य घंघे- वन- सम्पति(Forests)