पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/८०

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चौथा परिच्छेद

- चौथा परिच्छेद मुख्य धंधे (Primary Industries)–मछलियाँ धन ( Wealth ) की उत्पत्ति का आधार प्रकृति की देन है। जिस देश में प्रकृति की देन की बहुलता है वही समृद्धि- मुख्य-धंधे शाली हो सकता है। मनुष्य अपने श्रम तथा यंत्रों (Primary इत्यादि (पूंजी) की सहायता से सम्पत्ति की उत्पत्ति Industries ) करता है । सम्पत्ति (Wealth) को उत्पत्ति करने की क्रिया को ही धंधा ( Industry ) कहते हैं। धंधे दो प्रकार के होते हैं। (१) मुख्य धंधे ( Primary Industries ) और (२) गौण धंधे (Secondary Industries) मुख्य धंधों ( Primary Industries ) में मनुष्य अपने श्रम तथा पूंजो (Capital) की सहायता से प्रकृति के द्वारा उत्पन्न की हुई वस्तु को प्राप्त करता है। मुख्य धंधों में प्रकृति का भाग मुख्य होता है और श्रम ( Labour ) तथा पूंजी ( Capital ) का भाग गौण होता है । मछलियों को पकड़ने का धन्धा, वन सम्बन्धी धन्धे, खेती और पशुपालन, तथा खनिज पदार्थों को निकालने का धन्धा मुख्य पन्धे हैं। गौण धन्धे ( Secondary : Industries ) वे धन्धे हैं जिनमें मुख्य धन्धों से उत्पन्न किए हुए कच्चे माल (Raw material) को पक्के माल ( Manufactured articles ) में परिणत किया जाता है। उदाहरण के लिए कागज़ का धन्धा, लोहे का धन्धा और सूतो कपड़े का धन्धा । इन धन्धों में श्रम (Labour) और पूंजी ( Capital ) का मुख्य भाग रहता है। समुद्र की लहरें जितना सोना उछालती हैं उतना सोना आज मनुष्य के ... पास नहीं है । इस सत्य का आज कोई आर्थिक महत्व समुद्र का नहीं है क्योंकि समुद्रों की लहरों से सोना प्राप्त आर्थिक महत्व करना बहुत ख़र्चीला है वह लाभदायक नहीं है। - इसी प्रकार समुद्र की लहरों और ज्वार भाटा (Tides ) में जो अनन्त शक्ति ( Power ) भरी हुई है उसका भी आज