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जलवायु तथा प्राकृतिक वनस्पति

जलवायु तथा प्राकृतिक वनस्पति साल मुख्य हैं परन्तु जहाँ वर्षा कम होती है वहाँ वृक्ष छोटे रह जाते हैं। यहाँ तक कि मरुस्थलों की मौति कहीं कहीं वृक्ष कोटेदार हो जाते हैं। ऐसे कम वर्षा वाले प्रदेश गुल्मभूमि (Scrubland) तथा कोटेदार वनों में परिणत हो जाते हैं। यहाँ पौधे विशेषकर जाड़े में उगते हैं क्योंकि यहां वर्षा जाड़े में ही होती है। इस प्रदेश की वनस्पति में छोटे छोटे वृक्ष तथा भमध्य सागर झाड़ियाँ अधिक होती हैं। गरमियों में यहां नमी की की जलवायु कमी होती है, इस कारण प्रकृति ने इन वृक्षों की की वनस्पति पत्तियों पर रेशम के समान कोमल रोम उत्पन्न कर दिये हैं। यह पत्तियां नमी को नष्ट होने से बचाती हैं। कुछ वृक्ष जैसे कार्क अपनी मोटी छाल द्वारा नमी के नाश से अपनी रक्षा करते हैं। इन प्रदेशों में बलूत, जैतून तथा फलों के वृक्ष मुख्यतः पाये जाते हैं। अंगूर भी यहाँ बहुत उत्पन्न होता है। मानसूनी प्रदेश में वृक्ष ग्रीष्म ऋतु की गर्मी से अपनी रक्षा के लिए पत्तों -~~ को गिराते हैं। इन वनों में पत्ते शीत तथा पाले से वृक्ष शीतोष्ण कटि- को बचाने के लिए जाड़े में गिरते हैं। इन वनों में वन्ध के पतझड़ बहुत सी बहुमूल्य लकड़ियाँ होती हैं। जैसे बलूत, धन ( Tempe- एल्म, बीच, बर्च, मेपिल इत्यादि । _rate deciduous foresill) शीतोष्ण कटिबन्ध की घास ऊष्ण कटिबन्ध की घास की अपेक्षा छोटी और कम फैलने वाली होती है, और १५ इंच वर्षा से शीतोष्ण कटि- मी कम में उत्पन्न हो जाती है। यहाँ बहुत दूर दूर तक बन्धीय घास के एक भी वृक्ष नहीं होता । भिन्न भिन्न महाद्वीपों में इन मैदान (Temper- मैदानों के भिन्न भिन्न नाम रखे गए हैं । यह एशिया ate Grass और योरोप में स्टैपीज़ (Steppes) उत्तरी अमेरिका land) में प्रेरीज़ ( Prairies ) दक्षिणी अमेरिका में पम्पास (Parnpas) दक्षिणी अफ्राका में वेल्ड ( Veld ) और प्रारलिया में डाऊनलैंड (Dewnland ) कहलाते हैं। परन्तु समी जगह यह मैदान एक से ही होते हैं । वसन्त में भूमि हरी भरी रहती है, गरमियों में घास जल जाती है, और जाड़ों में यहाँ हिम गिरता है।