भारत की जनसंख्या धंधों में काम पा जाते हैं वे उद्योग पर निर्भर मान लिए गए हैं। विद्वानों का अनुमान है कि भारत में निर्भर रहने वालों की संख्या ७३% के लगभग है। हर्षे की बात है कि राष्ट्रीय सरकार का ध्यान उद्योग-धंधों की.और गया है। देश में इस बात की आवश्यकता है कि जनसंख्या को कृषि पर इतना अधिक निर्भर न रहने दिया जावे। भारतवर्ष मुख्यतः गांवों का देश है १०३१ में देश की कुल जनसंख्या का ११ प्रतिशत नगरों में रहता था और शेष गाँवों गांध और नगर में रहता था। १९४१ गणना के अनुसार १२८ प्रतिशत जनसंख्या नगरों में निवास करती है। यद्यपि शहरों की ओर प्रवास बढ़ रहा है फिर भी भारत मुख्यतः गाँवों का ही देश है। किन्तु बड़े शहर तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके दो मुख्य कारण हैं। बड़े नगरों में उद्योग-धंधे केन्द्रित हैं और मध्यम श्रेणी के व्यक्ति नगरों में ही रहना पसंद करते हैं। इतना सब कुछ होने पर भी १९३१ में भारतवर्ष में केवल ३५ नगर ऐसे थे जिनकी जनसंख्या एक लाख से ऊपर थी और १९४१ की गणना के अनुसार ऐसे नगरों की संख्या ५८ है। संयुक्तप्रान्त में सबसे अधिक नगर हैं। इन ५८ नगरों के अतिरिक्त देश में ६६६,८३१ गांव और २,५७५ कस्ले हैं। उनका बंटवारा इस प्रकार है। गांव की जनसंख्या गांवों की संख्या ५१०,००० ११३,००० कुल जनसंख्या का प्रतिशत २७.५% २२% २०.५% ,१५% ५.० मनुष्यों से कम ५०० से १००० मनुष्य १००० से २०००, २००० से ५०००, करबे ५००० से १०,०००। १०,००० से २०,०००, २०,००० से ५०,०००, - ५०,००० से अपर २,००० ४% २% २% ७% १००% ऊपर की तालिका से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत गाँवों का देश है। नगर यहाँ बहुत कम हैं।
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भारत की जनसंख्या