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आर्थिक भूगोल

आर्थिक भूगोल जहाँ रेलों से बहुत से लाभ हुये हैं वहां रेलों के बनने से यहाँ के कुटीर उद्योग-धंधों को बहुत हानि पहुँची । बहुत से धधे तो नष्ट हो गये। क्योंकि रेलों के बन जाने से विदेशों का तैयार माल गांवों तक पहुँच जाता है। परन्तु रेलों के द्वारा ही भारतीय उद्योग-धंधों की स्थापना हो सकी है यह न भूल जाना चाहिए।

भारतवर्ष में रेलवे लाइनों का निर्माण १८५० के बाद होना शुरू हुआ।

प्रारम्भ में सरकार ने विदेशी कम्पनियों को एक निश्चित मुनाफे की गरंटी दी थी। जिस साल रेनों को घाटा होता तो सरकार उसे पूरा कर देती । ऐसा होने से विदेशी कंपनियाँ मनमाना खर्च करने लगी और सरकार को बहुत घाटा भरना पड़ा। अब सरकार ने रेलवे करनियों से रेलों को मोल लेने की नीति अपनाई । भारतीय रेलों का प्रबंध अब भी दोषपूर्ण है। तीसरे दर्जे के यात्रियों की कैसी दुर्दशा होती है यह किसी से छिपा नहीं है । माल भी हफ्तों पड़ा रहता हे और व्यापारियों को डिब्बे नसीब नहीं होते। रेलों, के किराये की नीति भी ऐसी है कि जिससे धंधों की उन्नति में रुकावट होती है। इसके अतिरिक्त रेलों में जो सामान काम आता है वह विदेशों से मँगाया जाता है। देश में उसे बनाने का प्रबंध नहीं किया जाता । आवश्यकता इस बात की है कि रेलों का प्रबंध राष्ट्र के हित को दृष्टि में रख कर किया जाय । भारतवर्ष में अभी हवाई जहाज द्वारा आने जाने को अधिक सुविधा नहीं है। किन्तु भारतवर्ष अन्तर्राष्ट्रीय वायु माग के रास्ते हवाई जहाज़ में है इस कारण इसका महत्व है.। जिन जहाजों को (Air Transport) योरोप से आस्ट्रलिया अथवा सुदूर पूर्व को जाना होता हे उन्हें भारतवर्ष में से गुजरना पड़ता है। योरोप तथा सुदूर पूर्व और आस्ट्रेलिया को पाने जाने वाल जहाज़ तान राष्ट्रों के हैं। ब्रिटेन का हवाई लाइन इम्पीरियल येअरवेज़ के नाम से प्रसिद्ध है, फास की येअरफ्रांस और हालैंड की K. L. M. के नामों से प्रसिद्ध है। इन सब लाइनों के जहाज़ करांची और कलकत्त के मार्ग से जाते. I Imperial Airways at Indian Trauscontinental Airways Ltd. का सप्ताह में पांच बार जहाज इङ्गलैंड और भारत आता- जाता है । योरोप से जो वायुमार्ग आस्ट्रेलिया को जाता है वह समुद्र तट के साप साथ जाता है, अस्तु कराची और कलकत्ता को वह छूता हुआ जाता है। डच लाइन ( K. L. M ) तथा फ्रैंच लाइन जो क्रमशः एंग्सटर्डम से बैंडियांग तथा पेरिस से हनोई तक जाती हैं करांचा और कलकत्ते के मार्ग से हो जाती है । बीच में यह जहाज जोधपूर और इलाहाबाद के मार्ग से जाते