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गमनागमन के साधन

गमनागमन के साधन मंडियां तथा शहर इन मैदानों में हैं। परन्तु उत्तर के मैदानों में एक कठिनाई भी है। पूर्व में वर्षा अधिक होती है इस कारण नदियों में बाढ़ आती है और रेलवे लाइनों को हानि पहुँचती है । साथ ही उत्तर के मैदानों में नदियों भी बहुत है इस कारण पुल बनाने में बहुत व्यय होता है। उत्तर की रेलये नाइनें दो बंदरगाहों पर समाप्त होती हैं । पूर्व में कलकवे पर और पश्चिम में करांची पर। .

. उत्तर के मैदानों में मेन लाइनों के अतिरिक्त शाखायें भी बहुत हैं।

वस्तुतः इन मैदानों में रेलवे लाइनों का एक जाल सा बिछा हुआ है । देश के अन्य किसी भी माग में इतनी अधिक रेलवे लाइनें नहीं हैं। उत्तर के दानों की सबसे महत्वपूर्ण रेलवे लाइन ई० आई० श्रार• है । यह कलकचे को पश्चिम बंगाल, विहार और संयुक्तप्रान्त से जोड़ती हैं । इसकी बहुत सी शाखायें हैं। यह रेलवे लाइन ईस्टर्न बंगाल रेलवे लाइन से नेहाटी पर, B. N. W. R. से मोकमेह, पटना और भागलपूर पर, G. I. P.से कानपुर और जबलपूर पर और N.'W.R. से गाजियाबाद पर मिलती है। सबसे अधिक माल ई. आई. और से ही प्राता जाता है। कानपूर पर E. J. R., B. B. &. C. I. R. मी से मिलती है। ई. आई. आर. वास्तव में देश की सबसे महत्वपूर्ण रेलवे लाइन है । यह कलकत्ते के बंदरगाह को बंगाल, बिहार और उड़ीसा के खनिज क्षेत्र तथा गंगा की उपजाऊ घाटी से जोड़ती है। १९२१ में भारत सरकार ने अपने हाथ में ले लिया । उत्तर भारत की दूसरी महत्वपूर्ण रेलवे लाइन N. W. R. है । यह देश की सबसे लम्बी. रेलवे लाइन है (६६.0 मोल ) यह करांची के बंदरगाह को सिंघ और पंजाब से मिलाती है । पंजाब के गेहूँ को यही रेलवे करांची के बंदरगाह तक ले जाती है। किन्तु यह रेलवे लाइन विशेष-कर सैनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। B. B. B. पूर्वी बंगाल की मुख्य रेलने है । यह प्रदेश जूट चावल और तम्बाकू बहुत उत्पन्न करता है। यहाँ का पैदावार E. B. R. तथा नदियों के द्वारा कलकत्ते को पहुँचती है । E.B. R. कटिकर पर B. N. W..R. से मिलती है और तिलहन तभ्ग अनाज को कलकत्ते लाती है। चंगाल नार्थ वेस्टर्न रेलवे ( B.N.W.R.) बंगाल के पश्चिमी भाग तथा उत्तरी बिहार में फैली हुई है । R. K. R. को B. N W. R. का संयुक्तप्रान्त में विस्तार ही समझना चाहिए, जो रुहेलखंड और कुमायूं प्रदेश में फैली हुई है। B..N.-W. R. पर पैसेंजर ट्रैफिक के अतिरिक्त चावल, अनाज, शक्कर, तिलहन और खाल की ट्रौफिक बहुत है। इसके