बाईसा परिच्छेद गमनागमन के साधन ( Meins of Trin-port ition ) श्राधुनिक उद्योग-धन्धे और व्यापार गमनागमन के साधनों पर अवलम्बिा हैं। जिन धन्धों में कच्चा माल भारी है अथवा कोयले की अत्यन्त आवश्यकता होती है वे तो रेलवे लाइनों की सुविधा होते हुये भी कोयले की खानों से अथवा कच्चे माल से दूर स्थापित नहीं किये जा सकते । जिस प्रकार शक्ति आधुनिक उद्योग-धन्धों के लिये अत्यन्त आवश्यक है उसी प्रकार धन्धों के लिए तथा व्यापार के लिये माल ढोने की सुविधाओं का होना अत्यन्त आवश्यक है । जिस देश में माल ढोने तथा गमनागमन के साधनों की कमी है वह कभी प्रौद्योगिक तथा व्यापारिक उन्नति नहीं कर सकता। भारतवर्ष एक विशाल देश है किन्तु यहाँ माल ढोने तथा गमनागमन के साधनों की सुविधायें बहुत कम हैं। अन्य देशों की तुलना में यहां सड़कों रेलों और नदी-नहरों के द्वारा माल ढोने की सुविधा कम है। सड़कें भारतवर्ष में अत्यन्त प्राचीन काल से बनाई जाती रही हैं । यह . गमनागमन का पुराना साधन है। मोहनजोदरी की सड़कें खुदाई से यह सिद्ध हो गया है कि ईसा से कई हज़ार वर्ष पहले भी भरतीय पक्की सड़कें बनाना जानते थे। सड़कें दो प्रकार की होती हैं कच्ची ( unmetalled ) और पक्की ( me- talled ) । कच्ची सड़क वर्षों के दिनों में व्यर्थ हो जाती हैं । गाड़ियों उन पर नहीं चल सकतीं । कच्ची सड़कें बनाने में कुछ व्यय नहीं होता । परन्तु - व्यापार की दृष्टि से उनका विशेष महत्व नहीं है । पक्की सड़कें अवश्य भारत. वर्ष में व्यापार तथा गमनागमन का मुख्य एवं महत्वपूर्ण साधन है। यद्यपि पक्की सड़कों पर भी पुल न होने से तथा वर्षा के दिनों में न देयों में बाढ़ आ जाने से उनका उतना महत्व नहीं है जितना कि रेलों का, किन्तु भारत जैसे विशाल देश में जहाँ रेल अपेक्षाकृत कम हैं सड़कें महत्वपूर्ण मार्ग हैं। यदि मारतवर्ष में पक्की सड़कों पर स्वरमानों पर पुल बना दिये जायें तो
पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५३५
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
बाईसवां परिच्छेद
गमनागमन के साधन
(Means of Trin-port ition)