उद्योग-धंधे वहुत से कारखाने लकड़ी जलाते हैं और कुछ कोयला भी जलाते हैं। शक्कर के कारखानों में पानी की भी आवश्यकता होती है परन्तु . बहुत पानी की आवश्यकता नहीं होती। पानी या तो ट्य व वैल खेोदकर तैयार किया जाता है अथवा नहरों से ले लिया जाता है । शक्कर के धंधे में कुशल मजदूरों की आवश्यकता बहुत कम होती है । अकुशल मजदूर गांवों में सस्ती मेज़दूरी पर सब कहीं यथेष्ट संख्या में मिल जाते हैं । अतएव शक्कर के धंधे का स्थानीय करण गन्ने की पैदावार पर निर्भर है। भारतवर्ष में लगभग १५० शक्कर के कारखाने हैं। इनमें अधिकांश गंगा.की घाटी में हैं। लगभग ७५ प्रतिशत कारखाने संयुक्तप्रान्त तथा बिहार में हैं। भारतवर्ष में जितनी शक्कर. उत्पन्न की जाती है उसका ८०% केवल संयुक्तप्रान्त और बिहार में ही उत्पन्न होती. है। पिछले वर्षों में भारतीय Sugar शक्कर के कारखानों तथा खड़सारों से इतनी अधिक शक्कर उत्पन्न होने लगी . है कि वह भारतवर्ष की मांग से अधिक होती है। संयुक्तप्रान्त तथा बिहार की सरकार ने १९४१ में शक्कर की उत्पत्ति को कम करने का प्रयत्न किया
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उधोग-धंधे