आर्थिक भूगोल से ऊन आता है । आस्ट्रेलिया के अतिरिक्त और सब ..देशों. से खुश्की के रास्ते ऊन आता है, केटा, शिकारपूर, 'अमृतसर, और. मुलतान ऊन. मुख्य मंडियों हैं। आस्ट्रेलिया का ऊन बहुत अच्छा होता है। उसकी खपत ऊनी कपड़े के कारखानों में ही होती है। भारत में ऊनी कपड़े की मिलों का वितरण बम्बई थाना बड़ौदा. .', राजपूताना बंगलौर बैलारी (मदरास) श्रीनगर धारीवाल अमृतसर: कानपूर:. मिर्जापूर भागलपूर. ढाका .. युद्धकाल में दो ऊनी मिलों की स्थापना :संयुक्तप्रान्त में और हुई है किन्तु, अभी वे खड़ी नहीं हो सकी हैं। भारतवर्ष में चार तरह के रेशम के कीड़े पाये. जाते हैं। रेशम. (जो रेशम के कोड़े शहतूत की पत्ती पर रहता है ) टसर, अंडी और पालने का धंधा . मूंगा। रेशम के कीड़ों को दो तरह से पाला जाता है। एक बाहर : पेड़ों पर दूसरे मकानों के अन्दर कमरों में । जब रेशम का कीड़ा रेशम उगल. कर ककून ( coccion ) बना लेता है तो यह ककून इकड़े कर लिए जाते और किसान इन्हें बेंच देते हैं। रेशम के कीड़े के लिए शहतूत की पत्ती अत्यन्त आवश्यक है । काश्मीर से लेकर अासाम तक हिमालय के.साथ साप.शहतूत का वृक्ष जङ्गली अवस्था में पैदा होता है और उस पर जङ्गली रेशम का कीड़ा मिलता है। बंगाल, मैसूर और काशमीर में शहतूत के बड़े बड़े बाग लगाये गए हैं। हिन्दोस्तान
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