अकाल आर्थिक भूगोल के अतिरिक्त और कोई उपयोग नहीं होता । हा पहाड़ी जाति के बकरे रेशम, के समान मुलायम ऊन उत्पन्न करते हैं। भारतवर्ष जैसे देश में जहां बहुत सी जन संख्या मांस नहीं खाती दूध सब उम्र के स्त्री-पुरुषों और बच्चों के लिए सबसे अधिक घी-दूध का धंधा पौष्टिक भोजन है। देश के लिए दूध का. इतना ( Dairy In- अधिक महत्व होते हुए भी देश में दूध को. dustry ) है। गांवों में साधारण किसान को अपने कुटुम्ब के लिए दूध नहीं मिलता । शहरों में भी ठीक दामों में अच्छा दूध नहीं मिलता । इसका मुख्य कारण यह है कि गाय तो बहुत कम दूध देती है, दूध देने वाला जानवर भैंस है किन्तु . गाय को पालना इसलिए आवश्यक है क्योंकि वह बैल उत्पन्न करती है। साधारण किसान गाय बैल दोनों को हो नहीं पाल सकता इस कारण वह बिना दूध के रहता है। जिन किसानों को दशा अच्छी होती है वह भैंस पालते हैं और घी बेंचते हैं। इसका फल यह होता है कि गाँवों में दूध का अभाव रहता है और घी महत्वपूर्ण धंधा बन गया है । भारतवर्ष में दूध की उत्पत्ति ८० करोड़ मन वार्षिक है । ८० करोड़ मन दूध का मूल्य लगभग ३ अरब रुपये होता है। संसार में संयुक्तराज्य अमेरिका को छोड़ कर अन्य किसी भी देश में इतना दूध उत्पन्न नहीं होता। इससे यह न समझ लेना चाहिए कि यहाँ दूध खूब होता है। संसार में प्रति मनुष्य पीछे यहाँ प्रति दिन सबसे कम दूध उत्पन्न होता है। भिन्न भिन्न देशों में प्रति मनुष्य पीछे प्रति दिन दूध. की उत्पत्ति इस प्रकार है :-न्यूज़ीलैंड २४४ औंस, डेनमार्क १४८ औंस, कनाडा १६ औंस, संयुक्तराज्य अमेरिका ३७ औंस, जर्मनी ३४ औंस, ब्रिटेन १४ औंस, फ्रांस ३३ औंस और भारतवर्ष में ८ औंस | ध्यान रहे कि ब्रिटेन इत्यादि देशों में मस्खन इत्यादि दूध की वस्तुयें बहुत बड़ी राशि में बाहर से आती हैं। इस कारण वहाँ प्रति दिन प्रति मनुष्य पोछे दूध का उपभोग उत्पत्रि से अधिक होता है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन में प्रति दिन प्रति मनुष्य पीछे १४ औंस दूध उत्पन होता और ३६ औंस का उपभोग होता है। भारतवर्ष में प्रति दिन प्रति मनुष्य पीछे केवल ७ औंस का उपभोग होता है। डाक्टर नार्मन राइट ने हिसाब लगाया है कि इस .. करोड़ मन में से लगभग ५२ प्रतिशत दूध का धी बनता है। १५ प्रतिशत का खोया, दही इत्यादि बनता है और शेष पीने के काम में आता है। भारतवर्ष में , .
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आर्थिक भूगोल