खेती भारतवर्ष तिलहन उत्पन्न करने वाले देशों में मुख्य है। प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का तिलहन यहाँ से विदेशों को मुख्यतः फ्रांस तिलहन "को जाता है । सरसों, लाही, सन का बोज, बिनौला, सिल, अंडी और मूंगफली यहाँ के मुख्य तिलहन हैं। इनके अतिरिक्त नारियल और महुश्रा के फलों से भी तेल निकाला जाता है। सरसों बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आसाम और संयुक्तप्रान्त में बहुतायत से उत्पन्न होती है। अधिकतर यह गेहूँ और जौ के साथ उत्पन्न होती है। यह सबसे महत्वपूर्ण तिलाइन है। सन का बीज । देखो सन) तिल की खेती कम उपजाऊ भूम पर होती है। तिल की पैदावार- लगभग प्रत्येक प्रान्त में होती है। अंडी की पत्ती पर अंडी ( रेशम ) के कीड़े पाले जाते हैं। इसके तेल 'साबुन तपा मशीनों को चिकना करने वाले तेत तैयार किये जाते हैं। इसका तेल औषधि के रूप में भी उपयोगी है । इसकी पैदावार उत्तर भारत में अधिक होती है। मूंगफली के लिए रेतीली भूमि और सूखा जलवायु चाहिए। इसकी पैदावार दक्षिण में बहुत होती है। पश्चिमीय भारत में भी मूंगफली की खेती बढ़ती जा रही है। यह अधिकतर फ्रांस को भेजी जाती है। मूंगफली को न तो सिंचाई की आवश्यकता है और न इसकी खेती में अधिक परिश्रम ही करना पड़ता है। बिनौला कपास का बीज होता है ( देखो कपास) नारियल की पैदावार दक्षिण में बहुत होती है। भारतवर्ष से प्रतिवर्ष बीस लाख गैलन नारियल का तेल विदेशों मुख्यतः इङ्गलैंड को भेजा जाता है। नारियल की जटाओं के रस्से बनते हैं जो विदेशों को भेजे. जाते हैं। नारियन भी बहुत बड़ी संख्या में विदेशों को भेजे जाते हैं। महुश्रा का वृक्ष तराई के प्रदेश, मध्य भारत और बंगाल के उस भाग में उत्पन्न होता है जहाँ वर्षा कम होती है। इसकी शराग भी बनाई जाती है। गुठली का तेल निकाला जाता है। भारतवर्ष अधिकतर तिलहन ही बाहर भेजता है, तेल नहीं भेजता क्योंकि तेल का धंधा यहाँ श्रमी उन्नत नहीं हुआ है।
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