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पृथ्वी के धरांतल की बनावट और मिट्टी

पृथ्वी के धरातल की बनावट और मिट्टी ३३. _ial ) मिट्टी कहते हैं। यह मिट्टी अत्यन्त उपजाऊ होती है । जो मिट्टी. कि हवा द्वारा उड़ाकर दूसरी जगह बिछा दी जाती हैं उन्हें लोयस ( Loess ) कहते हैं। चीन तथा मध्य योरोप में यही मिट्टी पाई जाती है। यह मिट्टी __ भी अत्यन्त. उपजाऊ होती है। एलवियल (Alluvial) तथा लोयस, ( Loess.) मिट्टी के मैदान संसार में सबसे अधिक उपजाऊ हैं । ग्लेशियरों (Glaciers ) के द्वारा जमा की हुई मिट्टी को टिल (Till) कहत हैं। यह भी उपजाऊ होती है। . . 6. ऊपर दिये हुए विवरण में इस बात को बतलाने का प्रयत्न किया गया है कि मिट्टी किस प्रकार बनीं । अब हम मिट्टी के तीन रूपों का संक्षिप्त विवरण देंगे। मिट्टी के तीन रूप हैं:-चीका ( Clay ) रेत ( Sand ) और दोमट (Loam)| चीका मिट्टी बहुत कड़ी और चिकनी होती है, उसमें न तो पानी ही जल्दी पहुंच सकता है और न हवा ही जल्दी पहुँच सकती है। इस कारण चीका मिट्टी खेती के लिए उपयोगी नहीं होती। रेतीली मिट्टी में __में चीका ( Cluy.) का अंश बहुत कम होता है उसके कण अलग रहते हैं, उसमें-कणों को जोड़ देने वाला पदार्थ नहीं होता । इस कारण उसमें उत्पन्न होने वाले पौधे की जड़ तक हवा और पानी सरलता से पहुँच सकता है। रेतीली मिट्टी पर खेती करना आसान होता है, किन्तु रेतीली मिट्टी पर खेती करने के लिए पानी की अधिक आवश्यकता होती है। यदि जल की कमी हो तो अधिक पैदावार नहीं होती। दोमट ( Loam) में दोनों प्रकार की मिट्टी होती है, अर्थात् उसमें रेत और चीका (Clay') समान रूप से मिले रहते हैं। दोमट मिट्टी सब प्रकार की फसलों के उपयुक्त है क्योंकि इसमें दोनों मिट्टियों के गुण होते हैं। कुछ पौधों के लिए रेतीली मिट्टी अधिक उपयोगी होती है और कुछ के लिये रेतीली मिट्टी हानिकर होती है । रेतीली मिट्टी में पानी शीघ्र ही गहराई तक चला जाता है और साथ ही सूर्य के किरणों से वह शीघ्र ही सूख जाता है। अतएव उन पौधों के लिए जिन्हें जड़ के पास अधिक समय तक पानी की आवश्यकता होती है रेतीली मिट्टी उपयोगी सिद्ध 'नहीं होती। चीका मिट्टी तो खेती के लिए सर्वपा अनुपयुक्त है। क्योंकि एक' तो पौधा उसमें अपनी जड़ को ही आसानी से नहीं फैला सकता फिर हवा और पानी भी जड़ तक आसानी से नहीं पहुँचता । इस कारण ऐसी- मिट्टी पर खेती नहीं की जाती केवल घास उगती है। ' : कहीं कहीं मिट्टी पर रेह अंथवा शोरा ( Alkalies) जम जाने से भी मिट्टी खेती के लिये व्यर्थ हो जाती है। रेह तथा नमकीन मिट्टी पौधे को उगने ही नहीं देती। यह उन स्थानों में पाई जाती है जहां पानी कम बरसता प्रा० भू०-५