शाहि धीत ४३७ की तरह कोयले की खानों को नदियों अथवा नहरों के द्वारा कोयला भेजने की सुविधा प्राप्त नहीं है । रेलों से कोयला देश के सुदूर प्रान्तों तक ले जाने में अधिक व्यय होता है। पिछले कुछ वर्षों से कोयने की खानों में भाग अधिक लगने के कारण खानों को हानि पहुँची है। देश के कोयले के भण्डार के विषय में ऊपर लिखी हुई जानकारी प्राप्त कर लेने के उपरान्त यह स्पष्ट हो जाता है कि कोयले की दृष्टि से भारतवर्ष को स्थित संतोषजनक नहीं है। Rajmohal linaria Ronchi NAGPUR calcul Midnapur back Tola महा के भारतवर्ष से पृथक कर दिये जाने से भारतवर्ष में पेट्रोल की उत्पत्ति बहुत कम रह गई है। जहाँ मारतवर्ष में पैट्रोल पेट्रोलियम की उत्पत्ति नाम मात्र की रह गई है यहाँ मिट्टी के तेल तथा पैट्रोल की खपत बढ़ती जा रही है। मोटर द्वारा श्रावागमन का प्रचार बढ़ने से पैट्रोल की मांग अधिकाधिक बढ़ रही है। भारतवर्ष में पैट्रोलियम अासाम और पंजाब में निकलता है। भारतवर्ष में पैट्रोलियम के दो क्षेत्र है। एक क्षेत्र हिमालय के पश्चिमी सिरे पर है और दूसरा पूर्वी सिरे पर है । पश्चिमी क्षेत्र पंजाब और बिलोचि. स्तान से प्रारम्भ होकर ईरांन तक चला गया है। पूर्वी क्षेत्र अासाम से प्रारम्भः होकर ब्रह्मा, सुमात्रा, जावा और बोनियो तक फैला हुआ है। पंजाब में रावलपिंडी तथा दक्षिण-पश्चिमी भाग में तेल की खाने है
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