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आर्थिक भूगोल

आर्थिक भूगोल संसार में भारतवर्ष का स्थान अबरख उत्पन्न करने वालों में प्रथम है। 'भारतवर्ष में तीन प्रमुख अबरख क्षेत्र हैं। विहार का अवरख (.Mica) क्षेत्र जो ७० मील लम्बा और १२ मील चौड़ा है मानभूमि, हजारी वाग, मुंगेर और गया जिलों में हैं। दूसरा क्षेत्र मदरास के नैलोर तथा नीलगिरी जिले में हैं। तीसरा क्षेत्र अजमेर मेरवाड़ा तथा जयपूर और मेवाड़ राज्य में है। भारतवर्ष में अधिकांश अबरख बिहार के क्षेत्र से निकाला जाता है। अबरन का अधिकतर उपयोग बिजली के काम में होता है। भारतवर्ष से बहुत सा अबरख ब्रिटेन और संयुक्तराज्य अमेरिका को जाता है। भारतवर्ष में जितना अवरख उत्पन्न होता है उसका ८० प्रतिशत बिहार की खानों से निकलता है । सब से महत्वपूर्ण खाने कोदारमा के जंगल में तथा उसके आस पास स्थित हैं नैनोर जिले में जो अबरखं का क्षेत्र है वह मदरास के तटीय मैदान में स्थित है यह क्षेत्र ६० मील लम्बा और १० मील चौड़ा है यहां का अबरन हरा होता है। नैलोर बिहार के उपरान्त सब से अधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। अजमेर. मेवाड़ तथा दक्षिण राजपूताना के राज्यों में भी अबरख बहुत है किन्तु अभी इसको निकाला नहीं गया था किन्तु पिछले दिनों यहाँ भी. यह निकाला जाने लगा है। कुछ दिनों से ट्रावंकोर के इरानिपाल तालुका और मैसूर के हसान जिले से भी अवरख निकाला जाने लगा है। अबरख का बिजली के धन्धे में बहुत उपयोग होता है। भारतवर्ष में बहुत प्राचीन काल से ताबे का प्रचलन था और ताबा निकाला जाता था। वर्तमान समय में बिहार के सिंगभूमि. ताँवा ( Copper ) जिले में ताँवा बहुत निकाला जाता है। भारतवर्ष का यही मुख्य तौवे का क्षेत्र है। १९१८ में तांबे को निकालने और गलाने का काम प्रारम्भ हुआ। मारतवर्ष में सबसे महत्व. पूर्ण ताबे का कारखाना इंडियन कापर कारपोरेशन का है जो “ मौभंदर घाट सिला पर स्थित है। संसार के तांबे की उत्पत्ति की तुलना में भारतवर्ष का स्थान नगयय है। तावा बिहार के हजारो बाग जिले, संयुक्तप्रान्त के कुमायूं कमिश्नरी, तपा सिक्किम राज्य में भी पाया जाता है, किन्तु अभी तक निकाला नहीं जाता। 77 1