बन सम्पत्ति क्रमशः चीर पाइन के रेजिन ( Resin ) से तारपीन का तेल तथा बीरोज़ा तैयार किया जाता है । रेजिन का उपयोग लाख, साबुन, तारपीन का तेल. कागज, श्रायल क्लाप, ग्रामोफोन रेकर्ड तथा छापे की तथा वीरोज़ा रोशनाई बनाने के काम में आता है । तारपीन का तेल पेंट और वार्निश के लिए बहुत उपयोगी है । संसार का ९५ प्रतिशत तारपीन का तेल; और बीरोज़ा। संयुक्तराज्य अमेरिका (८०% ) तथा फ्रांस में बनाया जाता है । २० वीं शताब्दी के प्रारम्भ में वन विभाग ने तारपीन तथा बीरोजे के धंधे की इस देश में स्थापना की। पंजाब और संयुक्तप्रान्त में वारपीन के कारखाने स्थापित किए गए और भारतवर्ष ने फ्रांस और संयुक्तराज्य अमेरिका से तारपीन का तेल तथा बीरोज़ा मँगाना बंद कर दिया। यही नहीं कि भारतीय कारखानों ने देश के बाजार को हथिया लिया वरन कुछ तारपीन का तेल विदेशों को भी भेजा जाता है। यदि प्रयत्न किया जाये तो भारतीय तारपान का तेल विदेशों में अधिकाधिक बिक सकता है। क्योंकि भारत का बना हुआ तारपीन का तेल बहुत अच्छा होता है ।.पंजाब तथा संयुक्तप्रान्त की सरकारों ने इस धंधे को प्रोत्साहन दिया और कारखाने स्थापित किये । यदि भारतीय तारपीन के तेल की मांग विदेशों में बढ़ाई जा सके तो यह धंधा बहुत उन्नति कर सकता है क्योंकि भारतवर्ष के वनों में पाइन बहुत मिलता है । इसाधंधे का भविष्य उज्ज्वल है। लाखं एक कीड़े की उपज है . यह कीड़े भारतवर्ष में पाये जाने वाले कुछ वृक्षों के रस को चूस कर रहते हैं और लाख लाख उत्पन्न करते हैं । लाख की बहुत माँग है और इसका से धंधों में होता है । अतएव यह एक महत्वपूर्ण औद्योगिक कच्चा माल है । संसार में भारतवर्ष सबसे अधिक लाख उत्पन्न करता है । वस्तुतः भारतवर्ष ही अन्य देशों को लाख भेजता है। उपयोग बहुत लाख का कीड़ा कुसुम, पलास, बेर, पीपल, बरगद, गूलर, फालसा बबूल और क्रोटन के वृक्षों पर अधिक रहता है। लाख के कोड़ों सहित वृक्षों की टहनियां काट ली जाती हैं और लाख के बीज वाली ये टहनियां ऊपर लिखे हुए वृक्षों में कलम की भांति लगा दी जाती हैं। लाख के कीड़े सारे वृक्ष पर फैल जाते हैं। जून और नवम्बर में नये वृक्षों पर लाख का कीड़ा [छोड़ा जाता है और ६ महीने के बाद लाख को फसल इकही करली जाती है। कहीं कहीं जंगली अवस्था में भी लाख का कीड़ा पाया जाता है और
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वन- सम्पति