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आर्थिक भूगोल

३१२ आर्थिक भूगील. हैं । जैसे जैसे ऊँचाई बढ़ती जाती है वैसे ही वैसे ऊष्ण कटिबन्ध की वनस्पति अर्द्ध ऊष्ण कटिबन्ध, और शीतोष्ण कटिबन्ध की वनस्पति में परिणत होती जाती है । कहीं कहीं तो अर्द्ध ऊष्ण कटिबन्ध की वनस्पति प्रकट ही नहीं होती है। पश्चिमी तथा मध्य हिमालय में चीड़ ( पाइन ) वनों के रूप में यह बिलकुल स्पष्ट है। पूर्व हिमालय में भी अई ऊष्ण वनस्पति का प्रदेश स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, किन्तु दक्षिण भारत के पहाड़ी वनों में यह बिलकुल दृष्टिगोचर नहीं होता । शीतोष्ण कटिबन्ध के वन भारतवर्ष में पहाड़ों पर पाये जाते हैं। चौड़ी पत्तियों वाले वृक्ष उन भागों में पाये जाते हैं जहाँ वर्षा बहुत अधिक होती है। ऐसे वन दक्षिण की पहाड़ियों तथा उत्तर की पहाड़ियों (पूर्वी भाग में) मिलते हैं। अधिकांश हिमालय के उस भाग पर जहां वर्षा साधारण होती है अथवा कम होती है, सदा हरे रहने वाले नुकीली पत्ती (Coniferous ) के वन मिलते हैं। पहाड़ी वनस्पति (Alpine Vegetation) भारतवर्ष में केवल हिमालय पर पाई जाती है। अधिक ऊँचाई पर पहाड़ी वनों ( Alpine' forests ) में बर्च ( Birch ) के वृक्ष अधिक पाये जाते हैं। अधिकतर इन वनों में सदा हरे रहने वाले नुकीली पत्तियों के (Coniferous ) वन हैं, परन्तु कुछ चौड़ी पत्तियों के पतझड़ वाले ( Deciduous ) वृक्ष भी मिलते हैं। यह वन ६५०० फीट की ऊँचाई से ११, ५०० फीट की ऊँचाई तक पाये जाते हैं। इससे अधिक ऊँचाई पर वृक्ष उत्पन्न नहीं होते। हाँ, झाड़ियाँ तथा छोटे पौधे अवश्य उत्पन्न होते हैं। भारतवर्ष के मैदानों में अधिकांश वन नष्ट हो गए हैं। वनों के नष्ट हो जाने के कई कारया हैं। एक तो खेती के लिए अधिक भूमि प्राप्त करने के लिए वनों को काट डाला गया। दूसरे मैदानों में जब नदियों में बाढ़ आती है तो चिकनी मिट्टी के वनों में बिछ जाने से वृक्षों की बढ़वार कम हो जाती है और बहुत वृक्ष नष्ट हो जाते हैं । जो वृक्ष बच रहते हैं वे कीड़ों के अाक्रमण के कारण शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं। मैदानों में और विशेष कर पहाड़ों के समीप वनों के नष्ट हो जाने का यह भी एक मुख्य कारण है। वनों की अग्नि, तथा पशुओं के अधिक चराने से भी भारतवर्ष में वनों को हानि पहुँचती है। वस्तुतः मनुष्य सदैव वनों को नष्ट करने पर तुला रहा है। यद्यपि आधुनिक सभ्यता बहुत कुछ लकड़ी पर निर्भर है, परन्तु फिर भी मनुष्य ने वनों को नष्ट करने का कार्य बिलकुल छोड़ नहीं दिया है। श्रासाम के पहाड़ी प्रदेश में वनों को जलाकर जंगली जातियों खेती करती हैं और