३२४ आर्थिक भूगोल > समुद्र के पास हैं इस कारण उनका महत्व अधिक है। ब्रिटेन में कोयले का तटीय व्यापार बहुत होता है और वह अच्छी जाति का है। ब्रिटेन के विदेशी व्यापार में कोयले का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है और कुल निर्यात (Export) का ५ प्रतिशत है। ब्रिटेन की कोयले की खाने १-पैनाइन पर्वत माला (१) नार्थम्बरलैंड और डरहम, (२) यार्क डी और नाटिंगम (३) दक्षिणी लंकाशायर, (४) उत्तरीय स्टेफर्डशायर २-मिडलैंड का मैदान (१) वारविक, (6) दक्षिण स्टेफर्डशायर, (७) सीसैन्टरशायर ३-वैल्स के पहाड़ (८) उत्तरी वेल्स, दक्षिणी वेल्स (6) येअरशायर, क्लाइड (१०) ब्रिस्टल, ऐडिनबरा, और आयरलैंड में किलकैनी (Kilkenny) छोटे खनिज केन्द्र हैं। ब्रिटेन की कोयले की खानों में स्काटलैंड की खाने १४ प्रतिशत, यार्क नाटिंगहम और डर्बी की खाने ३१ प्रतिशत, लंकाशायर की कोयले की खाने ६ प्रतिशत, मिडलैंड की ११ प्रतिशत और वेल्स की १६ प्रतिशत कोयला उत्पन्न करती हैं। दक्षिण वेल्स की कोयले की खानें बहुत महत्वपूर्ण हैं । १६२० तक यह प्रदेश संसार को सबसे अधिक कोयला विदेशों को भेजता था। किन्तु पिछले वों वेल्स से कोयले का निर्यात ( Export ) कम हो गया है क्योंकि ब्रिटेन का कोयला मंहगा पड़ता है और संयुक्तराज्य अमेरिका का कोयला संसार के बाज़ार में सस्ता बिकता है । फ्रांस स्वीडन इटली जो ब्रिटेन का कोयला मँगाते थे वहाँ जलविद्यत की उन्नति होने के कारण कोयले की माँग कम हो गई । यही नहीं आस्ट्रेलिया और अफ्रीका जो पहले ब्रिटेन से बहुत कोयला मँगाते थे वहाँ कोयले की खाने निकल आई हैं इस कारण उन्होंने कोयला मँगाना प्रायः बंद कर दिया है। यार्क डवी और नाटिंगहम की कोयले की खाने लोहे की खानों के पास हैं साथ ही समुद्र के समीप होने से यहाँ से कोयला बाहर जाने में सुविधा है। स्कैन्डिनेविया, डेनमार्क और बाल्टिक प्रदेश को कोयला इन्हीं खानों से जाता है। शेफील्ड का स्टील का धंधा और ऊन का धंधा इन्हीं खानों पर निर्भर है
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