जापान यद्यपि चीन से कम रेशम उत्पन्न करता है किन्तु जापान का रेशमी धन्धा अधिक वैज्ञानिक ढंग से किया जाता है और अधिक उन्नत है। सरकार ने रेशम के धंधे को उन्नत करने का विशेष प्रयत्न किया है। चीन में रीलिंग इत्यादि हाथ से होता है किन्तु जापान में माफ द्वारा कारखानों में होता है। रेशम के रीलिंग के लिए जापान में नीची लिखी विशेष सुविधायें हैं (१) शुद्ध जल की बहुतायत. (रेशम के कारखानों को पानी को बहुत आवश्यकता होती है।) (२) धंधा रेशम उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में केन्द्रित है। दक्षिण और दक्षिणी पूर्व के तटीय नीचे मैदानों में अपेक्षाकृत ठंडी और सूखी वायु होती है। जापान ने रेशम के उत्पन्न करने में विशेष उन्नति की है और रेशम की रीलिंग करने के लिए एक विशेष पद्धति निकाली है जिससे कि रेशम अधिक चमकदार और सुन्दर हो जाता है जिसकी संयुक्तराज्य अमेरिका में बहुत खपत है। जापान जितना रेशम बाहर भेजता है उसका ६५ प्रतिशत संयुक्त- राज्य अमेरिका को जाता है। जापान में रेशमी कपड़े तैयार करने का धंधा अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। रेमशी कपड़ा बाज भी बहुत कुछ हाथ कर्षों से बुना जाता है, परन्तु आधुनिक ढंग के कारखाने भी कपड़ा तैयार करते हैं। पिछले कुछ वर्षे में नकली रेशम का धंधा भी जापान में बहुत उन्नति कर गया है। रेशमी कपड़ा तैयार करने वाले केन्द्रों में फूक्की ( Fukui ) कानाजावा (Kano- reva) तथा कामाटा ( Swamata ) मुख्य हैं । ऊनी कपड़े का धन्धा भी तीव्र गति से उन्नति कर रहा है और जापान आस्ट्रेलिया के ऊन का प्रमुख खरीदार बन गया है । इन धन्धों से भी अधिक महत्वपूर्ण धन्धा सूती कपड़े का धन्धा है । साधारण सूत कातने में हिन्दुस्तान की कपास का ही उपयोग होता है किन्तु बढ़िया सूत कातने के लिए संयुक्तराज्य अमेरिका की रूई मंगाई जाती है। सूती कपड़े के धन्धे के मुख्य केन्द्र श्रोसाका ( Oakn ) कोच ( Kobe ) याकोहामा (Yakohama ) और टोकियो (Tokin ) हैं जापान में सुनो धन्धे की आश्चर्यजनक उन्नति के नीचे लिखे कारण हैं :-( १ ) यथेष्ट सस्ते मजदूर, (२) चीन तथा भारत इत्याद पूर्वी देशों के विस्तृत बाजारों का पास होना (३) घटिया और बढ़िया कपास को मिला कर बारीक सूत कातने की पद्धति का आविष्कार, (४) राज्य द्वारा धन्धे को अार्षिक सहायता, (५) सूती कपड़े की विक्री का उत्तम संगठन । जापान में खिलौने बनाने का धन्धा बहुत उन्नति कर गया है।
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