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आर्थिक भूगोल

. . its प्रार्षिक भूगोल “किन्तु बिखरी हुई आबादी में रहने वालों की कुछ कठिनाइयां सी हैं वे.गहुँधा सोचने विचारने वाले और चुप रहते हैं और अच्छे. वक्ता नहीं बन पाते किन्तु जब अवसर पाता है तो उनमें कार्य करने की आश्चर्यजनक फुर्ती और क्षमता होती है। जहाँ तक स्वास्थ्य रक्षा का प्रश्न है विखरी आबादी में रहने वालों को लाभ है। शुद्ध हवा, रोशनी और जगह को वहां कमी नहीं होती जैसी कि शहरों में होती है। किन्तु साथ ही वहाँ यह दोष भी है कि चिकित्सा की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाती

ऊपर के विवेचन से हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं कि साधारण धनी

श्राबादी अधिक श्रेयस्कर है। अब हम उन कारणों का अध्ययन करेंगे जिनका प्रभाव जनसंख्या के घनत्व पर पड़ता है.क्योंकि उनका :व्यापार से भी सम्बन्ध है इस कारण. पार्षिक भूगोल के विद्यार्थी को उन कारणों का अध्ययन कर लेना चाहिए। यह तो हम पहले ही कह चुके हैं कि पृथ्वी पर घनी आबादी के कुछ ही प्रदेश हैं शेष में बिखरी हुई आबादी है। गांवों को प्राबादी जो खेती की उत्पधि पर निर्भर है । जहाँ गहरी खेती होती है और प्रति एकड़ पैदावार अधिक होती है वहीं ग्राम प्रदेशों में श्राबादी, धनी होती है। यह "तभी सम्भव है कि जब उपजाऊ भूमिः हा; यथेष्ट वर्षा हो और लम्बा गरम मौसम हो जिसमें कि फसल उत्पन्न हो सके। चीन, भाइरलैंड और पूर्वी भारत के घने नाबाद प्रदेश इसके उदाहरण हैं.। शचि के साधनों, और काचा मान मिलने को सुविधा शहरों की घनी आबादी, का, कारण होता है पश्चिमीय योरोप तथा पूर्वीय संयुक्तराज्य अमेरिका के औद्योगिक प्रदेश "इसके उदाहरण हैं। नीलनदी की घाटी में घनी आबादी का मुख्य कारण सिंचाई की सुविधा है। घनी आबादी वाले देश घने 'श्राबाद . रहते हैं. चाहे उससे अधिक उपजाऊ प्रदेश खाली ही क्यों न पड़े हों इसका मुख्य..कारण है कि मनुष्य अपने निवास स्थान को छोड़ना पसन्द नहीं करता। जब वह । विवश ही हो जाता है तब अवश्य ही वह अपना निवास स्थान छोड़ता है। यही कारण है कि घने आबाद प्रदेशों से- कम.- आबादी वाले, प्रदेशों को प्रवास बहुत धीरे होता है । यही.नहीं घनी आबादी वाले प्रदेशों से कम 'धावादी वाले देशों में प्रवास को राजनैतिक कारण तपा जाति : देष भी रोकते हैं। उदाहरण के लिए अफ्रीका, पास्ट्रेलिया न्यूज़ीलैण्ड इत्यादि देशों में भारतीयों और चीनियों को बसने नहीं दिया जाता। .. . A