२७४ आर्थिक भूगोल जल्दी खराब न होने वाले माल, तथा कीमती सामान को ले जाते हैं। जिन व्यापारियों के पास पूरे जहाज़ के लायक माल भेजने को नहीं होता वे लाइनर से ही अपना माल भेजते हैं। जब ट्रम्प एक स्थान पर माल उतार देते हैं तब बेतार के तार से उन्हें सूचित कर दिया जाता है कि उन्हें कहाँ जाकर माल लादना चहिए । इस प्रकार ट्रम्प जहाजों को माल मिलने में कठिनाई नहीं होती। ट्रैम्प जहाज़ एक बड़ी आवश्यकता को पूरा करते हैं। कारण यह है कि किन्हीं स्थानों पर जब फसल का समय होता है तब तो माल. लादने को रहता है, नहीं तो वर्ष के शेष दिनों में वहां से माल नहीं भेजा जाता । ऐसे मारकस ( ट्रैफिक ) के लिए ट्रैम्प ही अधिक उपयुक्त हैं । समुद्री मार्ग व्यापार पर निर्मर रहते हैं । जहाँ माल लादने को अधिक मिलता है, जहाज़ वहीं जाता है फिर चाहे उसको चक्कर खाकर ही क्यों न जाना हो । यद्यपि माल मिलने की सुविधा मुख्यतः जहाजों के मार्ग को निर्धा- रित करती है परन्तु अन्य बातें भी समुद्री मार्गों को निर्धारित करती हैं। (१) यदि मार्ग में कोयले की स्टेशने अधिक हैं तो जहाजों को थोड़ा कोयला ही भरना पड़ता है और माल लादने के लिए कोयले के मिलने जगह मिल जाती है । यही कारण है बहुत से ऐसे की सुविधा स्थानों पर भी जहाज़ नियमित रूप से जाते हैं जहाँ माल लादने को नहीं मिलता किन्तु कोयला सस्ता मिलता है। (२) जहाँ तक सम्भव होता है समुद्री मार्ग ग्रेट-सर्किल रुट (Great. Circ' Route ) का अनुसरण करते हैं क्योंकि वही दो स्थानों के बीच में सबसे छोटा रास्ता होता है । पृथ्वी पर भूमध्य रेखा सबसे बड़ा वृत्त (Circle ) है और ध्रुवों पर सबसे छोटे वृत्त होते हैं । अतएव किन्हीं दो स्थानों में सबसे कम अन्तर सीधा मार्ग नहीं होता, वरन् ग्रेट-सर्किल स्ट होता है । यही कारण है कि समुद्रीय मार्ग उत्तर में उत्तरीय ध्रुव की और और दक्षिण में दक्षिण ध्रुव की ओर जाते हैं जिससे कि जहाज़ों को कम से कम दूरी पार करना पड़े। किन्तु अन्य कारणों से-माल मिलने की सम्भावना जलवायु तथा कोयले के मिलने की सुविधा के कारण जहाजों को ग्रेट-सर्किल- रुट छोड़ना भी पड़ता है। कहीं कहीं नदियाँ तथा बन्दरगाह जाड़ों में जम जाते हैं तब जहाजों को सुविधाजनक मार्ग छोड़ कर दूसरा मार्ग ग्रहण करना पड़ता है। उदाहरण के लिए जब सेंट-लारेंस जम जाती है तब जहाज़ दक्षिणी बन्दरगाहों की
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आर्थिक भूगोल