२७२ आर्थिक भूगोल के लिए उपयोग न हो सका । किन्तु आज तो समुद्र अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का मुख्य साधन बन गया है और एक देश दूसरे देश के बहुत समीप श्रागया है। समुद्रीय जलमार्ग के द्वारा माल बहुत सस्ते भाड़े में एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है । जहाज द्वारा मांट्रियल से लिवरपूल तक गेहूँ जाने में प्रति टन प्रति मील .० ६ ० खर्च पड़ता है, किन्तु इङ्गलैंड में रेल से गेहूँ ले जाने में प्रति टन प्रति मील २०.६ . खर्च पड़ता है। यद्यपि जहाज द्वारा माल ले जाने में खर्च बहुत कम होता है परन्तु जहाज़ रेल की अपेक्षा धीरे चलता है। यही नहीं जहाज साधारणतः ८००० से १०,०००टन बोमा ले जा सकता है जबकि रेलवे ट्रेन ६०० टन बोमा ही ले जाती है। जहाज द्वारा कम खर्च से माल ले जा सकने के निम्नलिखित मुख्य कारण हैं:- समुद्र ने एक प्रकृतिदत्त जहाज मार्ग उपस्थित कर दिया है उसको बनाने में कुछ व्यय नहीं होता। यही नहीं समुद्री म.गं सब दिशाओं में है श्रतएव जहाज़ जहाँ भी आवश्यकता हो जा सकता है। इसके विपरीत रेलवे लाइनें डालने में पचास हजार से लेकर एक लाख रुपया प्रति मील व्यय हो जाता है फिर भी सब स्थानों पर रेल नहीं पहुँच सकती। ममुद्र सब देशों के लिए खुला है श्रतएव प्रत्येक देश के जहाज़ समुद्र का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग कर सकते हैं श्रतएव जहाज़ी कम्पनियों को व्यापार का एकाधिकार नहीं होता। जहाजों को अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है इस कारण जहाजों के चलाने की कला में उन्नति करने, मुसाफिरों तथा व्यापारियों को सुविधा देने, और कम किराया लेने की ओर जहाज़ी कम्पनियों का विशेष ध्यान रहता है। उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ तक (१८२४ ) पालों से चलने वाले नहाजों का प्राधान्य था किन्तु पिछले १०० वर्षों में भाप से चलने वाले जहाजों का इतना अधिक उपयोग होने लगा है कि हवा से चलने वाले जहाज़ (Sailing Sbips ) महत्वहीन हो गए । बाज भी अधिकांश हवा से चलने वाले जहाज़ तटीय व्यापार तपा कम दूरी की यात्रा करते हैं और भारी सामान को जो जल्दी नष्ट होने वाला न हो ले जाते हैं। परन्तु थोड़े से हवा द्वारा चलने वाले जहाज़ दूर की यात्रा भी करते हैं। स्टीमर हवा से चलने वाले जहाजों की अपेक्षा अधिक सामान ले जा सकता है, उसकी चाल तेज़ होती है तथा वायु का उस पर कोई असर नहीं होता। क्रमशः हवा से चलने वाले जहाजों का उपयोग समाप्त हो रहा है। किन्तु भाप से चलने वाले
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आर्थिक भूगोल