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आर्थिक भूगोल

.१४ आर्थिक भूगोल खड़ी हो गई जिसके लिए सरकार को विशेष प्रयत्न करना पड़ा। भारतवर्ष में भी इन जानवरों तथा कीड़ों से पैदावार का कम नुकसान नहीं होता। इन शत्रुओं से फसल को बचाने के लिए किसान का बहुत सा समय और धन नष्ट होता है। पृथ्वी पर ऐसे भी जीव-जन्तु हैं जिनके बिना मनुष्य का काम ही नहीं चल सकता। गाय, बैल, घोड़ा, गदहा, ऊँट, मित्र हाथी, भेड़, बकरी तथा कुछ अन्य पशु मनुष्य के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। गाय, भैंस और बकरी से हमें दूध मिलता है, बैल, और घोड़ा खेती के लिए आवश्यक हैं, साथ ही बोमा ढोने के काम भी आते हैं। भेड़, बकरी तथा ऊँट से मनुष्य को खाने और पहिनने की वस्तुयें मिलती हैं। इनके अतिरिक्त रेशम के तथा लाख के कीड़े से हमें रेशम और लाख मिलता है। जिन प्रदेशों में रेलों का विस्तार नहीं हुआ है वहाँ आज भी बैल, घोड़ा, ऊँट, हापी और खच्चर ही सवारी का काम देते हैं। मनुष्य समाज की उन्नति में इन पशुओं का मुख्य भाग रहा है। उद्योष-धंधों की उन्नति के लिए मजदूरों की उतनी ही अधिक श्राव- श्यकता है जितनी कच्चे माल तथा शक्ति की। मजदूर और भिन्न-भिन्न जाति के मजदूर एक से नहीं होते कुछ जनसंख्या मजदूर बहुत कार्य करने वाले होते हैं और कुछ नीचे दर्जे के होते हैं। किसी भी देश की औद्योगिक उन्नति ( Industrial Development ) बहुत कुछ वहाँ के मजदूरों पर ही निर्भर होती है। यही कारण है जिन देशों में जन-संख्या कम है और वे प्रकृति की देन ( Natural Resources ) से भरे-पुरे हैं वहां कुलियों की मांग बहुत रहती है। यद्यपि घनो आबादी वाले पुराने देशों से बहुत से मजदूर प्रतिवर्ष नये उपनिवेशों में जाकर बसते हैं, फिर भी उन नये देशों को जितनी उन्नति हो सकती थी उतनी नहीं हुई है। अमेरिका अफ्रीका, तथा ओशेनिया के देश इसी कारण अभी तक पूर्ण रूप से उन्नत नहीं हो सके। कुछ ऐसे गरम नये देश भी हैं जहाँ ठंडे देशों के निवासी नहीं रह सकते । इस कारण उन देशों को उन्नत करने के लिए गरम देशों के मजदूरों को वहां ले जाकर रखा गया। दक्षिणी अफ्रीका, आस्ट्रेलिया तथा केनिया उपनिवेशों में यह समस्या आज भी वर्तमान है। जब ये उपनिवेश वीरान घे उस समय इनको उन्नत करने के लिए भारतवर्ष, चीन और जापान से मजदूरों को लाया गया, किन्तु जब यह उपनिवेश उन्नत हो गए