पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/२६७

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बारहवां परिच्छेद
व्यापारिक मार्ग तथा व्यापारिक केंद्र

बारहवाँ परिच्छेद व्यापारिक मार्ग तथा व्यापारिक केन्द्र गमनागमन के साधनों की प्रत्येक समय और प्रत्येक देश में आवश्यकता पड़ती है। बिना गमनागमन, के साधनों के व्यापार हो ही नहीं सकता,। यदि गमनागमन के साधन न हो तो प्रत्येक छोटा छोटा प्रदेश एक पृथक क्षेत्र बन जाये और उसका अन्य प्रदेशों से कोई सम्बन्ध ही न रहे। मानव समाज, को सभ्यता के विकास में गमनागमन के साधनों का महत्त्वपूर्ण भाग रहा है। आज भी चाहे अफ्रीका के पिछड़े महाद्वीप को, ले लीजिए और चाहे उन्नतिशील योरोप को लीजिए-गमनागमन के साधनों की आवश्यकता सभी जगह प्रतीत होती है। माल लाने और ले जाने के साधनों ( Transportation ) के बिना व्यापार हो ही नहीं सकता और गमनागमन के लिए व्यापारिक मार्ग (Tride routes ) चाहिए। गमनागमन तथा माल लाने ले जाने के साधन भिन्न प्रकार के हैं। भिन्न भिन्न साधनों को हम तीन श्रेणियों में बाँट सकते हैं.-(१) मनुष्यों द्वारा, (२) पशुओं द्वारा, (३) यंत्रों द्वारा। 'अत्यन्त प्राचीन काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक माल ले जाने लिए मनुष्य का उपयोग होता था। उस समय केवल पगडंडिया ही व्यापारिक मार्ग थीं। बड़े और चौड़े मार्गों की आवश्यकता ही न थी। किन्तु मनुष्य अपेक्षाकृत बहुत कम बोझी ले जा सकता है। आज भी घने जंगलों तथा पहाड़ी प्रदेशों में जहाँ मार्ग नहीं है मनुष्य ही माल ले जाने का मुख्य साधन है 'जब मनुष्य ने अपने पालतू जानवरों का उपयोग माल ले जाने और लाने में करना प्रारम्भ किया तो पगंडडियों के स्थान पर चौड़े मार्गों की आवश्यकता हुई क्योंकि पगडंडियों पर माल से लदे हुए पशुं नहीं चल सकते थे। किन्तु उस समय भी कोई विधिवत मार्ग नहीं बनाया जाता था। । सौदागर माल से लदे हुए पशुओं के कारणों को ऐसे रास्तों से ले जाते थे जो सुविधाजनक, थे. और पशुओं के लगातार चलने से चौड़े मार्ग बन जाते थे। तदुपरान्त गाड़ियों का आविष्कार हुआ और पहियेदार गाड़ियों में पशुओं को जोत कर कई गुना अंधिक माल ले जाया जाने लगा। एक घोड़ा या बैल जितना बोझ, पीठ पर लाद कर ले जा सकता है उससे कई गुने माल से भरी हुई गाड़ी को आसानी घा० भू०-१३