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आर्थिक भूगोल

चार्थिक भूगोल है, जापान के कपड़े का बाजार भारतवर्ष तथा चीन इत्यादि देशों में है. तथा संयुक्तराज्य अमेरिका में बना हुआ कपड़ा, दक्षिण अमेरिका तथा पश्चिमीय द्वीप समूह में बिकता है । अतएव माल लाने और ले जाने की सुविधा पर भी सूती कपड़े के धंधे का केन्द्रित होना निर्भर है। भारतवर्ष में जो सर्वप्रथम बम्बई में सूती कपड़े का धंधा केन्द्रित हुआ वह केवल इस कारण कि वहाँ समुद्र द्वारा योरोप से मशीनरी तथा कोयला मँगाने की सुविधा थी और कपास को भीतरी भाग से मँगाने तथा कपड़े को अन्दरूनी भाग में रेल द्वारा ले जाने की सुविधा थी। सूती कपड़े के धंधे के लिए बाज़ार सबसे महत्त्वपूर्ण है। ब्रिटेन का सूती कपड़े का धंधा केवल इस कारण इतना अधिक चमक उठा क्योंकि उसका साम्राज्य विशाल था और उस राजनैतिक प्रभुत्व का फल यह हुआ कि ब्रिटिश माल के लिए वह विस्तृत बाज़ार बन गया। जैसे, जैसे ब्रिटेन का यह राजनैतिक और आर्थिक प्रभाव कम होता जा रहा है वैसे ही वैसे उसके धंधों की गति मंद होती जा रही है। आज . इङ्गलैंड के सूती कपड़े को स्थिति इतनी अच्छी नहीं है जितनी की आज से २५ या ३० वर्ष पहिले थी। भारतवर्ष में बम्बई की प्रतिस्पर्धा में जो अहमदाबाद, सूरत, नागपुर, कानपूर तथा अन्य केन्द्र स्थापित हो गए और क्रमश: धंधा देश के भीतरी भाग की ओर बढ़ने लगा उसका एकमात्र कारण यह है कि यह केन्द्र सूती कपड़े के बाजार के मध्य में स्थित है। सूती कपड़े के धंधे की दृष्टि से जगत में निम्नलिखित देश प्रमुख हैं। . .Collon Heroloeturing Centre १ त्रिटेन, २ संयुक्तराज्य अमेरिका, ३ जापान, ४ जर्मनी, ५ फ्रांस, ६ भारतवर्ष, ७ इटली, ८ चीन | इनमें ब्रिटेन, संयुक्तराज्य अमेरिका तपा