खेती की पैदावार-मोज्य पदार्थ १६१ भूमि बहुत उपयोगी सिद्ध होती है । ढालू भूमि पर वर्षा का जल नहीं ठहरता और धूप भी तेज पड़ती है। यही कारण है कि अंगूर को पैदावार नदियों की घाटियों के ढालों पर अधिक होती है। जाड़े के दिनों में अंगूर की बेल में पत्तियाँ नहीं रहती इस कारण पाला , बेल को नष्ट नहीं कर सकता। अंगूर के द्वारा शराब बनाने में फीस सर्व प्रथम है। इसके उपरान्त स्पेन, इटली, जर्मनी का राइन प्रदेश, पोर्तुगाल, आस्ट्रिया, हंगरी;ास्ट्रलिया, दक्षिणी अफ्रीका, स्वीटजरलैंड तथा दक्षिणी पश्चिमी रूस क्रमश: 'अंगूर की शराब उत्पन्न करने वालों में मुख्य हैं। फॉस, स्पेन और इटली, तीनों मिला कर संसार की तीन चौथाई शराब तैयार करते हैं। अंगूर की खेती करने तथा उसकी शराब बनाने के लिए बहुत कुशल मजदूरों की ज़रूरत होती है। तनिक सी भी लापरवाही से शराब घटिया हो सकती है। इसके अतिरिक्त शराब एक ऐसी वस्तु है, कि जो जिस शराब को पसन्द करता है फिर दूसरी शराब को पसन्द नहीं करता। फ्रांस की शराब जगत प्रसिद्ध है इस कारण अन्य देशों से शराब फ्रांस में आती है और वह फ्रेंच शराब के नाम से बिकती है। स्पेन, इटली, पोर्तुगाल तथा जर्मनी की भी शराब प्रसिद्ध हो चुकी है। यही कारण है कि अन्य देशों की शराब बाज़ार में अच्छे दामों पर नहीं बिकती।': फ्रांसीसी :लोग अंगूर की खेती करने और शराब को तैयार करने में बहुत कुशल हैं। क्लैरेट ( Claret ) शैम्पेन ( Champaigne ) तथा बरगंडी.( Burgundy ) नाम की शराब संसार में अत्यन्त प्रसिद्ध है: जो फ्रांस. . के इन्हीं . नामों के प्रदेशों में तैयार होती हैं। शराब फ्रांस की मुख्य व्यापारिक वस्तु है। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त : फाइलाक्सेरा (Phylloxern) नामक कीड़ा फ़ॉस में, संयुक्त राज्य अमेरिका से पहुंचा और थोड़े ही दिनों में इस कीड़े ने अंगूर की खेती को नष्ट कर डाला । 'समस्त फ्रैंच राष्ट्र इस कीड़े के प्रकोप से भयभीत हो उठा.क्योंकि शराब बनाने का ही धन्धा उनका मुख्य धन्धा था। अन्त में एक युक्ति निकाली गई जिससे अंगूर,की खेती : नष्ट होने से बच गई। अमेरिका की बेल की जड़ पर फीस की बेल की कलम लगाने से कीड़ा बेल को नष्ट नहीं कर सकता था। इटली के आल्पस पहाड़ों की ढालों पर अंगूर की खेती बहुत अधिक होती है । सि के उपरान्त इटली. ही मुख्यं शराब तैयार करने वाला देश है। इटली की शराब बहुत बढ़िया नहीं होती। फिर भी मारसला श्रा० भू०-२१ . . .
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खेती की पैदावार भोज्य पदार्थ