२४८. धार्षिक भूगोल संयुक्तराज्य अमेरिका में सेव बहुतायत से उत्पन्न होता है । वैसे तो ऐसी कोई रियासत नहीं जिसमें सेव की पैदावार न होती हो किन्तु न्यू-या पैनसलवेनिया, श्रोहियो तथा मिचिगन रियासतें सेव उत्पन्न करने के लिए विशेष प्रसिद्ध हैं । संयुक्तराज्य के पश्चिमीय माग कैलीफोनिया में भी सेव बहुतायत उत्पन्न होता है। कनाडा में भी सेव बहुत उत्पन्न होता है । नवास्कोशिया ( Nova Scotia)तथा ईरी और प्रान्टैरियो झीलों के समीपवर्ती मैदान में सेव बहुतायत से उत्पन्न करते हैं। कनाडा में पश्चिम की ओर राकी पर्वतमाला में भी सेव बहुत उत्पन्न होता है । बृटिश कोलम्बिया तो सेव का घर है । कनाडा प्रति वर्ष बहुत सा सेव इंगलैंड को भेजता है। सेव का मूल-स्थान यूरेशिया है । स्पेन से लेकर जापान तक सेव उत्पन्न होता है । इंगलैंड, स्वीटज़रलैंड, जर्मनी का दक्षिणी भाग, तथा आस्ट्रिया का पहाड़ी प्रान्त सेव उत्पन्न करने के लिए प्रसिद्ध है । बर्लिन, पैरिस, और लंदन सेव की योरोप में मुख्य मंडियों हैं जहाँ पास पास के प्रदेशों से सेव श्राता है। एशिया में जापान, चीन और कोरिया में सेव बहुत उत्पन्न होता है। इनके अतिरिक्त प्रास्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चाइल (Chile ).और टसमैनिया में भी सेव की पैदावार बहुत होती है। भारतवर्ष में भी सेव, काश्मीर तथा हिमालय के पहाड़ी प्रदेश में कहीं कहीं थोड़ी मात्रा में उत्पन्न होता है। सेव यदि सावधानी से रक्खा जावे तो बहुत दिनों तक खराब नहीं होता संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा से बहुत राशि में सेव योरोपीय देशों को . जाता है नारंगी और नीव ऊष्ण कटिबन्ध ( Tropics ) तथा गरम शीतोष्ण कटिबंध में उत्पन्न होने वाले फल हैं । नारंगी का नीबू (Lomon) मूलस्थान चीन है परन्तु भारतवर्ष में भी यह बहुत नारंगी समय से उत्पन्न किया जा रहा है। पंद्रहवीं शताब्दी में (Orange) यह पौधा योरोप में पहुँचा और वहां से इसको अमेरिका ले जाया गया । नारंगी के लिए पाला हानिकारक है। नारंगी की फसल बहुधा बहुत अच्छी होती है इस कारण घोड़ी सी भूमि पर भी यहुत सी फसल उत्पन्न की जा सकती है । लेकिन नारंगी का व्यापार इतना अधिक नहीं होता जितना और फलों का । क्योंकि यह शीत खराब हो जाती है तथा इसको दूर भेजने में अड़चन होती है । भूमध्य सागर (Mediterranenn Se1 ) के देशों में नारंगी खूब ही उत्पन्न होती है। योरोप में स्पेन, इटली, सिसहली. मास्टा, फ्रांस, तपा ग्रीस में इसकी अधिक .
पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/१६०
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१४८
आर्थिक भूगोल