पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/१३६

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मुख्य धंधे- कृषि

मुख्य धन्धे-कृषि १२३ कर लिया जाता है और फिर सूखे मौसम में उसका उपयोग सिंचाई के लिए होता है (३) पृथ्वी के अन्दर बहते हुए पानी को कुयें खोद कर सिंचाई के काम में लाया जाता है। सिंचाई के साधनों तथा धरातल 'की बनावट का गहरा सम्बंध है। यदि भूमि पथरीली हो और प्रदेश पहाड़ी हो तो नहरें नहीं खोदी जा सकती क्योंकि नहरें खोदने में बहुत अधिक व्यय पड़ेगा। साथ ही नहरें उन्हीं नदियों से निकाली जा सकती हैं कि जिनमें बराबर पानी रहता हो। भारतवर्ष में केवल उन्हीं नदियों से नहरें निकाली गई हैं जो बर्फीले पहाडों से निकलती हैं। तालाब और झील बनाने में अधिक व्यय नहीं होता क्योंकि उसमें केवल बाँध बना कर पानी को रोकना पड़ता है। किन्तु भूमि पथरीली होने पर कुओं का खोदना तथा विशेष कर पाताल फोड़ कुओं ( Artisan wells) का बनाना बहुत कष्ट साध्य तथा खर्चीला होता है। सिंचाई केवल उन्हीं प्रदेशों में नहीं होती जहाँ वर्षा कम होती है, जहां वर्षा यथेष्ट होती है वहाँ भी सिंचाई होती है क्योंकि किन्हीं किन्हीं प्रदेशों में वर्षा तो साधारणतः यथेष्ट होती है किन्तु वह अनिश्चित होती है इस कारण वहां सिंचाई की जाती है। साधारणतः यह विश्वास किया जाता है कि यदि पंद्रह दिन के अन्दर एक इंच से कम वर्षा हो तो फसल को हानि पहुँचने की सम्भावना रहती है। अतएव जिन प्रदेशों में वर्षा तो यथेष्ट होती है किन्तु बीच बीच में पंद्रह दिन से अधिक सूखा पड़ता है वहाँ सिंचाई की आवश्यकता होती है। संसार में सबसे अधिक भूमि भारतवर्ष में सींची जाती है । यहाँ बड़े बड़े तालाब तथा नहरों के द्वारा सिंचाई की जाती है। संसार के भिन्न भिन्न देशों में सिंचाई के द्वारा खेती की जाने वाली भूमि इस प्रकार है। भारतवर्ष-पाँच करोड़ एकड़ संयुक्त राज्य अमेरिका-दो करोड़ एकड़ लाख एकड़ जापान--७० लाल एकड़ F# (Egypt )-- मैक्सिको ( Mexico)-५७ इटली- -४५ सिंचाई के द्वारा जितनी भूमि पर खेती होती है उसका क्षेत्रफल भविष्य बढ़ जावेगा क्योंकि भारतवर्ष तथा ईजिप्ट इत्यादि देशों में नई नई नहरें " 99