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मुख्य धंधे-कृषि

'मुख्य धन्धे-कृषि कटाव से खेती को बहुत अधिक हानि होती है और इसका केवल एक मात्र उआय उस भूमि पर पेड़ों को उत्पन्न करना है। पेड़ों की जड़ें मिट्टी को जकड़े रहती हैं बस कारण वर्षा का जल उसे काट नहीं सकता। यह तो पहले ही कहा जा चुका है कि फसल को उत्पन्न करने से मिट्टी के कुछ तस्व कम हो जाते हैं। बात यह है कि मिट्टी की उपजाऊ प्रत्येक फरल किन्हीं विशेष तत्वों को कम करती शक्ति को घटने से है और कुछ तत्वों को भूमि में बढ़ाती है। अतएव रोकना यदि लगातार एक ही फसल बहुत समय तक भूमि पर उत्पन्न की जावे और भूमि पर खाद न डाली जावे तो उन नमकों ( Salts) की कमी के करण जिन्हें फसल कम कर देती है भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जावेगी। भूमि की उपजाऊ शक्ति को रोकने के लिए किसान तीन आय काम में लाता है (१) फसलों का हेर फेर ( Roration of crops ) (२) भूमि को विश्राम देना (३) भूमि पर खाद डालना। फसलों के हेर फेर का अर्थ यह है कि एक बार जिस फसल को भूमि पर उत्पन्न किया गया है उसा को दूसरी बार उत्पन्न न किया जावे । किसान ने अनुभव से यह जान लिया है कि कुछ फसलें जिन नमकों (Sults ) को भूमि में कम कर देती हैं वही तत्व या नमक दूसरी फसल 'भूमि में बढ़ा देती हैं । अतएव वह एक के बाद दूसरी उस फसल को उत्पन्न करता है जो एक दूसरे की पूरक हो । अनुभव से यह भी ज्ञात हुआ है कि यदि भूमि को थोड़ा विश्राम दिया जावे अर्थात् उस पर कोई फसल उत्पन्न न की जावे तो भूमि हवा से खाये हुए तत्वों या नमकों को फिर प्राप्त कर लेती है। किन्तु अपर लिखे उपाया से कुछ हद तक ही काम चल सकता है। क्योकि जिन देशों की आबाद। पनी ह वे न तो भूमि को उचित विश्राम ही दे सकते हैं और न फसलों का हेर फेर से खोये हुए तत्वों को पूरा पूरा प्राप्त किया जा सकता है। इस कारण किसान को भूमि पर खाद डालना आवश्यक हो जाता है। अधिकतर भूमि के आवश्यक तत्वों में नोषजन ( Nitrogen ) पोटेशियम ( Potassium ) तथा फासफोरस (Pho-phorus) की ही कमी होती है । अतएव किसान खाद डाल कर इन तत्वों की कमी को पूरा करता है। किसान पशुओं के गोवर, घास तथा चारा इत्यादि से तैयार की • हुई खाद को भूमि पर डालता है, अथवा खेत पर विशेष फसलें उत्पन्न करके उन्हें खेत में ही जोत देता है जो सड़कर खाद बन जाती हैं। अथवा पा० भू०-१६