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आर्थिक भूगोल

, १६ आर्थिक भूगोल कनाडा, स्वीडन, नावें, फिनलैंड, और रूस लकड़ी को लुब्दी बाहर भेजते हैं। कनाडा और स्वीडन सबसे अधिक लुब्दी बाहर भेजते हैं। लुब्दी बाहर से मँगाने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका ब्रिटेन और जापान मुख्य हैं। इन देशों में लुब्दी से केवल कागज़ ही तैयार नहीं किया जाता वरन नकली रेशम भी बनाया जाता है। लकड़ी की लुब्दी के अतिरिक्त स्पार्टा (Sparta) घास, सबाई (Sabai) भावर ( Bhabar ), बैब ( Baib ) तथा बाँस की भी लुब्दी बनाई जाती है। स्पार्टा घास स्पेन तथा उत्तरी अफ्रीका में बहुत होती है । सबाई, भावर सथा बैब का भारतवर्ष में कागज़ बनाने में बहुत उपयोग होता है । बाँस की लुन्दी से भी बढ़िया कागज़ तैयार हो सकता है। कागज़ की बढ़ती हुई मांग के कारण लकड़ी की लुब्दी की मांग बहुत बढ़ गई इस कारण लुब्दी बनाने योग्य लकड़ी शीघ्रता पूर्वक समाप्त होती जा रही है । लुब्दी तैयार करने योग्य वृक्षों को लगभग ६० वर्ष पूरे बढ़ने में लगते हैं इस कारण नये वृक्ष धीरे धीरे ही तैयार होते हैं। जितनी लकड़ी प्रतिवर्ष कागज़ बनाने के लिए काट ली जाती है उतनी उत्पन्न नहीं होती । इस कारण क्रमशः लुब्दी बनाने योग्य लकड़ी कम होती जा रही है। भविष्य में जब लकड़ी की कमी पड़ जावेगी तब भारतवर्ष तथा बर्मा इत्यादि के मानसून वन प्रदेश की घासें तथा. अनन्त राशि में खड़े हुए बांस से अधिकाधिक कागज़ तैयार किया जा सकेगा। वन सम्बन्धी धंधों ( Forestry ) के लिए दो बातों की आवश्यकता है। मजदूरों की और मार्गों की । यदि वन प्रदेश में ही जलप्रपात' हों तो और भी अच्छा क्योंकि पानी की शक्ति से वृक्षों को चीरने की सुविधा हो जाती है। जिससे वह चीरने के कारखाने (Suw.mills ) स्थापित किए जा सकते हैं। लकड़ी एक भारी चीज़ है इस कारण यदि वनों के पास हो लकड़ी की खपत के केन्द्र भी हों तो यह धंधा उस स्थान पर शीघ्र ही पनप उठता है । अन्यथा बाहर तो बहुत कीमती लकड़ी ही भेजी जाती है। वन सम्बन्धी धंधों ( Forestry ) की दृष्टि से शीतोष्ण कटिबन्ध ( Temperate lands) के वन अधिक महत्त्वपूर्ण हैं । एक तो इन वनों में नरम तथा कम कठोर लकड़ी मिलती है जो व्यापारिक दृष्टि से बहुत महत्त्व- पूर्ण है दूसरे इन वनों में झाड़ी तथा छोटे छोटे पौधे और बेलें नहीं होती इस कारण लकड़ी के बड़े बड़े लहों को वनों से लाने में कठिनाई नहीं होती।