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आनन्द मठ


बैठे लोहे की सीकड़ तैयार कर उन्होंने सोचा कि मैं इसी सीकड़में सप्तद्वीपा और ससागरा भूमिको बांध रखूंगा। एक दिन सिंहासनपर बैठे हुए जगदीश्वरने भी 'तथास्तु' कह दिया था; पर अब वह दिन नहीं रहे। आज तो सन्तानोंकी भीषण हरि ध्वनि को सुनकर वारन हेस्टिंग्जका कलेजा कांप उठा।

वारन हेस्टिंग्जने पहले फौजदारी सैन्य द्वारा विद्रोहको दवानेकी चेष्टा की, किन्तु उन सिपाहियोंका तो इन दिनों यह हाल हो रहा था कि वे यदि किसी बुढ़ियाके मुंहसे भी हरि नाम सुन लेते तो सिरपर पैर रखकर भाग जाते थे। इसीसे लाचार होकर वारन हेस्टिंग्जने कप्तान टामस नामक एक बड़े ही चतुर सैनिककी अध्यक्षतामें कम्पनीके सिपाहियोंका एक दल विद्रोह दबाने के लिये भेजा।

कप्तान टामसने विद्रोही दमनका अत्यन्त उत्तम प्रबन्ध किया। उन्होंने राजा और जमीन्दारोंसे सिपाही मांगकर कम्पनीके सुशिक्षित, सुसजित और अत्यन्त बलिष्ठ देशी विदेशी सैनिकोंके साथ मिला दिये। इसके बाद उस सम्मिलित सैन्यको अलग अलग टुकड़ियों में बांटकर उन्होंने एक एक टुकड़ोको सुयोग्य सैनिकोंके अधीन कर दिया। इसके बाद कौन सी टुकड़ी किस ओर भेजी जाय, इसका बन्दोबस्त किया। उन्होंने सब किसीसे कह दिया,-"देखो, तुम अमुक प्रदेशमें जाकर जाल की तरह फैल जावो। जहां कहीं कोई शत्रु नजर जाये, उसे वहीं चींटीको तरह मसल डालना।" कम्पनीके सिपाहियोंमेंसे कोई गांजेका दम लगाकर और कोई शराब पीकर बन्दूक लिये हुए सन्तानोंको मारने जाते, परन्तु सन्तानगण इतने असंख्य और ऐसे अजेय थे कि कप्तान टामसके सैनिक घासकी तरह कटते गये। हरि हरिकी ध्वनिसे कप्तान टामसके कान बहरे हो गये।