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बातों का अभ्यास होता है और न सामर्थ्य ! और इस कारण उन्हें ऐसी शिक्षा अवश्य मिलनी चाहिए जिससे वे पहले घर गृहस्थी के उपयोगी चीजें बनाने सुधारने में होशियार हो और सब सौज शौक की बोजें सिखाई जाय । परंतु पुस्तके ?पुस्तके किस भाषा में, किस तरह की, कान कीन सी ?

“अँगरेजी बढ़ने से मुझे शत्रुता नहीं है । मैं भी ससुराल में आकर अपने उनके पास थोड़ा बहुत सीख गई हूं किंतु ऐसा नहीं है कि अँगरेजी के बिना खाना हजम ही न हो । देश भाषा का अच्छा ज्ञान उन्हें अवश्य होना चाहिए । केवल इतना ही नहीं जिससे चिट्ठी पन्नी लिय पढ़ सके । स्त्रियों के उपयोगी संस्कृत के, अँगरेजी में और फारसी अरबी के जो जो अच्छे ग्रंथ मिल सके उनका हिंदी उल्था, अच्छी अच्छी पुस्तकों के आधार पर अपने ढंग के अनुसार तैयार किए हुए उपयेागी ग्रंथ हों और यदि अवकाश मिले तो अपना मन प्रसन्न करने अथवा पति के आमोद प्रमोद के लिये कुछ गायन कविता । किंतु आपके इस रेनाल्ड़ के नाबेल की तरह ऐसी कोई भी पोथी उनके हाथ में न पड़नी चाहिए जिससे उनकी व्यभिचार में प्रवृत्ति हो । संक्षेप यह कि उन्हें ऐसी ऐसी पुस्तकें पढ़ानी चाहिएँ जिनसे उनकी परमेश्वर में अधि. चलभक्ति बढ़े, वह माता पिता का सास ससुर और शिष्ट जनों का आदर करना सीखें, पति को अपना इष्टदेव जानकर उसकी सेवा करें, पति के सिवाय पर पुरूष को, बाप भाई और मामा