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और दबा दारू का प्रबंध कर दिया और जब उसका शरीर कीड़े पड़ पड़कर, दम घुट घुटकर बड़ी मुशकिल से घोर नरक यातना भेजकर छूटा तब उसे गड़वा दिया और उसके मरने के बाद उसका कर्म करवा दिया । अपकार के वाले उपकार करने का सही नमूना है, जो जैसा करता है यह वैसा पा लेता है। इसे साबित कर देने के लिये यही प्रमाण है । अस्तु इस बात से इस किस्से का विशेष संबंध नहीं । यदि सबंध भी हो तो विशेष कागज रंगने से पुस्तक की मोटाई बढ़ जायगी । इसलिये इतना ही बहुत हैं । यहाँ यह अवश्य लिख देना चाहिए कि जिसका जो कुछ गिरा था वह आदमी के हाथ से उसके मकान पर भेज दिया गया और जब उसके घरवाले को इस बात की खबर हुई तब उन्होंने अपनी अपनी स्त्रियों की फटकार भी खूब । खैर ! इस तरह जश् मथुर अपनी जान लेकर भाग निकली वतब पति में पत्नी से कहा---

"बेशक, अब तू सँभल गई । इतने दिनों के कठिन ब्रत ने तुझे सँभाल लिया । परमेश्वर ने तुझे बचाया । वही सब की लाज रखने वाला हैं। भाई साहब भी अब शीघ्र ही आने वाले हैं। अब विशेष विलंब का काम नहीं । घबड़ाना मत !"

"यह सब आपके चरणों का प्रताप है ! मेरे तो भगवान् भी आप और पाप भी आप ! नहीं जी ! इतने दिन न घब