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का आईना उठाकर भागते और इंदिरानाथ के रोते देखा । तब वह हँसकर कहने लगे
“लो आपकी बखशिश की क्या गत बन गई ।"
“क्या चिंता हैं ? भगवान् बखशिशें देनेवाले की सलाअत रखे। ऐसी ऐसी कई बखशिशें आ जायेंगी ।"
इस तरह विनाह की बातें करते करते प्रियंवदा ने अपनी चीजें सम्हालीं और लड़के को फुसलाया ।