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कुछ काम' बतला दिया तो बहाना ! और बहाना भी ऐसा वैसा नहीं । बच्चों को खिला रहा हूँ। और ये रोने लगे तब ?" बस इसलिये उसके कुसूर सुआफ हैं। बालक भी उससे ऐसे हिले हुए हैं कि बात न पूछो ! कोई उसे लाते मारता है, कोई उसे काटता है और कोई उसे गेंद मारकर भाग जाता है । इन दोनों बालकों के पास अड़ोस पड़ोस के कई बच्चे खेलने को आ जाया करते हैं। ये सब बालक आपस में भी लड़ते हैं, कभी मार देते हैं, कभी गालियाँ देते हैं किंतु भोला चुप ! उसे हँसने के सिवाय कुछ काम नहीं । इधर बच्चे खेला करते हैं और उधर भोला पड़ा पड़ा नींद में खुर्राटे भरा करता है। कोई बालक उसकी टाँग खैंचता है तो चुप और कोई उसके कपड़े खैंच भागता है तो "ॐ ॐ ! यह क्या करते हो ? मैं आज मालिक से तुम्हारी चुगली खाकर न पिटवाऊँ तो मेरा नाम भोला नहीं । कहने के सिवाय चुप ! बालकों का जी इस पर और इसका बालकों पर देखकर दोनों मालकिनें इसे खाना भी अच्छा देती हैं। कभी कभी यह नाराज होकर जब रूठ जाता है तब बालक रो रोकर घर भर दिया करते हैं इसलिये इससे कोई बिशेष कुछ कहता सुनता भी नहीं । बस इस तरह इसकी खूब पटती है।

बड़े मालिक इससे अवश्य नाराज हैं। ऐसे तो नाराज नहीं जो कभी क्रोध में आकर इसे निकाल बाहर करें क्योंकि "बुरा या भला जैसा है पुराना नौकर है। कामचोर अवश्य