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बीसी रूपयों के नुकसान हो गया और आया छदाम भी नहीं। किसी से कुछ कहा जाता है तो वह खाने को दौड़ता हैं। जरा सी बहू बेटियों को धमकाया तो उनके अदमी सिर फोड़ने को तैयार होते हैं। बच्चे रसोई में जूती फेंक दे। चौके में उतर ही क्यों न जायँ, पर खबरदार किसी ने उनकी ओर आँख भी निकाली तो । जो कहीं किसी को समझाया तो वह तुरंत अपनी जोरू बच्चों को लेकर जुदा होने को तैयार। गालियाँ (अपने आदमी के लिये इशारा करके कुछ लजाली हुई) खाते खाते दिन भर कान के कीड़े झड़ा करते हैं। सुनते सुनते उकता गई। इस दु:ख से तो रामजी मौत दे दें तो छूट्टँ। अभी छोटी देवरानी की छोटी ने दही की तमहेड़ी लात मारकर फोड़ डाली। छोटी क्या है एक अफत है । ससुरालवालों में जनम भर गालियाँ न दिलवावे तो मेरा नाम फेर देना। आफत के मारे उनके मुँह से कुछ निकल गया। निकल भी जाय। अदमी है। घर का नुकसान होता देखकर निकल गया। बाबा उन पर ही घर का सारा बोझा डाल गए हैं, इसलिये उन्होंने एक हलकी चपत मारकर कह दिया। कहा भी क्या था? कोई गाली थोड़े ही दी थी। यों ही जरा सा धमकाया था। बस आफत आ गई। देवरानी को अपने ससुर के बराबर जेठ के सामने होते शर्म आई। औरत क्या है बोकड़ा है। ऐसी गालियाँ सुनाई हैं कि एक एक मेहर की। उसक आदमी बाहर से आया