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दशा हुई सो तो किसी अगले प्रकरण का विषय है परंतु इस तरह झगड़ा निपटाने बाद उसने सब लोगों को सुनाकर आज्ञा दी कि―

'अब मुझे भी देखना है कि मेरे पीछे तुम लोग अपना काम किस तरह करते हो। अच्छा सा दिन देखकर मैं भी पंडित प्रियानाथ जी के साथ यात्रा करने जाऊँगा। मेरे साथ (अपनी स्त्री की ओर संकेत करके) यह और एक लड़का। अच्छा! गोपीबल्लभ तू तैयार होजा। तेरा काम राधारमण कर लेगा।"

"चाचा जी, रुपया?"

"अरे बावले ठाकुर जी के घर में कौन सी कमी है? मैं यहाँ का लेन देन सब निपटा जाऊँगा और साथ के लिये भी तुम्हें देना पड़ेगा।"

जिस समय इस तरह की बातें हो रही थीं तहसील का चपरासी आकर बूढ़े को साथ लिवा लेगया और कोई न जान सका कि क्यों? शायद इसी की उसे पहले से चिंता थी।


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