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गया था। उस दिन आप आते तो शायद मैं आपको दिखाई भी न देती पर मैं कसम खा कर कहती हूँ कि राम जी ने मुझे बचा लिया। अब मारो चाहे निवाजो। तुम्हारी दासी हूँ। तुम्हारे चरणों की रज हूँ। अब मुझ से सहा नहीं जाता। फिर कभी मुझ से कसूर बन आवे तो काट कर मेरे टुकड़े उड़ा देना। तुम्हारी गौ हूँ। इस बार माफ करो।" "भाई भौजाई के आने पर उनकी आज्ञा से जो कुछ होता होगा सो हो जायगा। अभी जो प्रायश्चित बतलाया है सो कर। अपने कुकर्मों के लिये पश्चाताप कर।" के सिवाय कभी एक शब्द भी उन्होंने उससे नहीं कहा और वह भी "अच्छा" कहकर आज्ञा पालने लगी।



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