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[चौथा
आदर्श महिला

कन्याओं का लालन-पालन करते हैं वैसे ही मुनि लोग भी पुष्प-वृक्षों को फूल-फलों से सजे-धजे देखने के लिए, उन्हें चारों ओर से घेर देते हैं—लताओं को हिफ़ाज़त से वृक्ष की डालियों पर चढ़ा देते हैं। अपनी ग़ैरहाज़िरी में इसे किसी दुष्ट की मस्ती समझकर विश्वामित्र बहुत नाराज़ हुए। उन्होंने दूसरे दिन तपोवन में आकर देखा कि मेरे आने से पहले ही कोई सब फूल चुन ले गया है, और फूलों की लताएँ वृक्षों की डालियों से अलग नीचे गिरकर धूल में लोट रही हैं। कितनी ही मञ्जरियाँ छोटे-छोटे पत्तों के साथ भूमि में गिरकर मैली हो रही हैं। इससे विश्वामित्र को क्रोध हुआ। उन्होंने तपोवन के वृक्षों और लताओं से कहा—अब जो कोई यहाँ फूल चुनने आवे उसको तुम बाँध रखना; मैं उसको सज़ा दूँगा।

तपस्या में अजब शक्ति है! तप के बल से मनुष्य देवता के अश्विकार को ले लेता है। तपोवन के पेड़ और बेलें मुनि की आज्ञा पालने को तैयार हुईं।

दूसरे दिन शापग्रस्त अप्सराएँ मौज से गीत गाती उस तपोवन में घुसीं। तपोवन में उनके आते ही वृक्ष और लताएँ धीरे-धीरे काँपने लगीं। मद-माती अप्सराओं ने इस पर कुछ ध्यान नहीं दिया। पाँचों सखियों ने ज्योंही फूल चुनने को हाथ बढ़ाया त्योंही वे लताओं से बँध गईं। बन्धन खोलने की उन्होंने बहुत कोशिश की, पर वे किसी तरह नहीं खोल सकीं। ऋषि के शाप के सामने अप्सराओं का शारीरिक बल थक गया। तब वे लाचार होकर राजा हरिश्चन्द्र का नाम ले-लेकर रोने लगीं।

[५]

मंत्री, प्रधान सेनापति और बहुतसी सेना को साथ लेकर राजा हरिश्चन्द्र वन में शिकार खेलने आये हैं। चित्रित मृग की खोज