पृष्ठ:आदर्श महिला.djvu/१३०

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
तीसरा आख्यान
दमयन्ती

[ १ ]

र्फ के मुकुट को पहननेवाले हिमालय के नीचे का वर्तमान कमायूँ प्रदेश पहले समय में निषध देश कहलाता था। वहाँ वीरसेन नामक एक प्रतापी राजा थे। उनके बड़े बेटे का नाम नल था और अलका उनकी राजधानी थी।

महाराज नल एक दिन, आखेट करते-करते, घने वन में चले गये। शिकार के लिए बहुत घूमने से, थकावट और प्यास से हैरान होकर वे एक मनोहर तालाब के तट पर जा पहुँचे। नल ने देखा कि एक विचित्र पंखोंवाला हंस वहाँ आँखें बन्द किये सोया हुआ है। राजा ने धीरे-धीरे पास जाकर हंस को पकड़ लिया। हंस ने आँखें खोली तो देखा कि मैं पकड़ा गया। उसने पकड़े जाने से और साथियों का संग छूटने से बहुत दुःखित होकर नम्रता से कहा---राजन्! कृपा करके मुझे छोड़ दीजिए। मैं पक्षी की योनि में जन्म लेकर आपसे आप उपजी हुई जलज आदि वस्तुओं को खाता हूँ। मैं कभी मनुष्य से वैर नहीं करता। हे महानुभाव! मुझे क़ैद करने में आपकी क्या बड़ाई होगी?

राजा ने हंस के इन नम्रता-पूर्ण वाक्यों को सुनकर उसे छोड़


  • किसी-किसी की राय में वर्तमान मध्य-प्रदेश का जबलपुर प्रान्त।