आज का ही वध निश्चय रहा?"
कमिश्नर ने कहा-"क्या आपसे पहले ही नहीं कह दिया गया था श्रीमान, कि आज का ही दिन निश्चय हुआ है।"
राजा ने कहा-"क्या मैं एक साधारण व्यक्ति की भाँति लन्दन के एक बधिक के हाथों मारा जाऊँगा?"
"राज्य के बधिक का तो कुछ पता नहीं। पर एक अन्य व्यक्ति ने यह काम अपने हाथ में ले लिया है। वध कुछ समय के लिए रोक दिया है, ताकि आप इहलोक और परलोक का भली-भाँति चिन्तन कर लें।"
यह सुनकर राजा के रोम-रोम से पसीना बहने लगा, और अरेमिस का रंग एकदम काला पड़ गया। उसके हृदय की धड़कन मानो बंद हो गई। उसने आँखें बंद कर मेज पर हाथ टेक दिए। उनके इस गहरे दुख को चार्ल्स ने देखा। वह अपना दुख भूल गए और उसे गले लगा लिया।
उन्होंने उदास भाव से मुस्कराहट के साथ कहा-"धैर्य रखो।"
फिर कमिश्नर की ओर मुड़कर कहा-“महोदय। मैं तैयार हूँ। दो बातों की मेरी इच्छा है। आपको इसमें कुछ देर न लगेगी। एक तो मैं कॉम्यूनियन का स्वागत करूं और दूसरे अपने बच्चों को गले लगाकर अंतिम विदा ले लूं। क्या मुझे इनकी आज्ञा मिलेगी?"
"हाँ श्रीमान।" कमिश्नर यह कहकर चला गया।
राजा ने अपने घुटने टेककर कहा-"जुक्सन मेरी स्वीकृति सुन लीजिये।"
अरेमिस जाने लगा, परन्तु राजा ने उसे रोककर कहा-"ठहरो पेरी, स्वीकृति तुम भी सुन लो।"
जुक्सन बैठ गये और राजा सेवक की भाँति अपनी स्वीकृति कहने लगे।
स्वीकृति समाप्त कर चुकने पर चार्ल्स अपने बच्चों से मिलने दूसरे कमरे में चले गये। कुछ देर बाद वे लौट आए।
जनता की भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी, वध का समय ठीक दस बजे रखा गया था। आसपास की गलियों में भी लोग भर गये थे। राजा उनके शोरगुल को खेदपूर्ण दृष्टि से देखने लगे। वे सोचने लगे, यह भयंकर कोलाहल
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