"मेरी पाड़ क्या वे बना रहे हैं?"
"हाँ, और साथ ही साथ दीवार में सूराख भी कर रहे हैं?"
राजा ने चारों ओर भयभीत दृष्टि से देखते हुए कहा--"सच! क्या तुमने देखा?"
"मैं तो बात भी कर आया।"
राजा ने दोनों हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना की। वे खिड़की के पास गये और परदों को हटा दिया। पहरेदार अव भी पहरे पर थे। ठीक उसी के नीचे एक काले से चबूतरे पर वे परछाईं की तरह घूमते नजर आते थे। चार्ल्स को अपने पैरों के नीचे चोट पड़ने की आवाज सुनाई दी।
पेरी ने अथस को पहचान लिया था। यह पोरथस की सहायता से लट्ठा रखने के लिए दीवार में छेद कर रहा था। इस छेद का सम्बन्ध राजा के कमरे से था। कन्धा लगाकर कमरे के फर्श की ईंटें निकाली जा सकती थीं और राजा इस छेद में होकर बाहर निकल सकते थे और पाड़ के एक कोने में, जहाँ काला कपड़ा ढका हुआ था, छिप सकते थे। वहाँ छिपे ही छिपे मजदूर-जैसे कपड़े पहनकर वे अपने चारों साथियों सहित भाग सकते थे। पहरेदार बिना सन्देह किए ही उन मजदूरों को चले जाने की आज्ञा दे सकते थे, क्योंकि ये लोग पाड़ बनाने वाले थे। इधर काम भी खतम होने ही वाला था। उनके भागने की युक्ति सीधी, सच्ची और सरल थी। अथस के कोमल हाथ पत्थर निकालते-निकालते छिल गए थे, इसलिए पोरथस इस काम को करने लगा। आर्टगनन ने फ्रेंच कारीगर का छद्म-वेश बना रखा था। उसने कीलें ऐसी तरकीब से लगाई थीं कि एक चतुर कारीगर मालूम पड़ता था। अरेमिस ने ऐसा लबादा पहन रखा था जो जमीन तक लटकता था उसकी पीठ पर पाड़ का नक्शा कढ़ा हुआ था।
प्रभात हुआ। सर्दी के दिन थे। कारीगर लोग अपना काम छोड़-छोड़-कर आग जलाकर तापने के लिए वहाँ आ बैठे। केवल अथस और पोरथस ने अपना काम अभी तक नहीं छोड़ा था। सवेरा होने तक उन्होंने सूराख पूरा कर लिया। एक काले कपड़े में राजा के पहनने योग्य कपड़े लपेटकर अथस घुस गया। पोस्याले में कुश्मी पूकड़ा दी, और डी आर्टगनन ने कीलों से
७१