आदमी के कार्य से राजा कष्ट पा रहे हैं। दूसरी मंजिल की ओर उसने देखा कि दो आदमी लोहे की कमानी सरका रहे हैं। हथौड़े की चोट पड़ते ही पत्थर खोल-खील होकर बिखर जाता है और एक आदमी घुटने टेके इधर-उधर पड़े हुए कंकड़ों को हटाता जाता है। उसे निश्चय हो गया कि यहीं के शोर की राजा शिकायत कर रहे थे।
पेरी जीने पर चढ़कर उनके पास गया और कहने लगा- "दोस्तो, अपना काम जरा धीरे-धीरे करो, जिससे शोर न मचे। मैं आप से यही प्रार्थना करने आया हूँ। राजा इस समय सो रहे हैं और उन्हें पूरे विश्राम की जरूरत है।"
हथौड़े से काम करने वाला व्यक्ति रुक गया और पीठ फेरकर उधर देखने लगा, पर अँधेरे के कारण पेरी उसका मुंह न देख सका। दूसरा आदमी जो घुटने टेके काम कर रहा था, वह भी मुड़ा। यह कम लम्बा था, अतः इसका चेहरा लालटेन के प्रकाश में दिखलाई पड़ रहा था। उस आदमी ने पेरी पर एक कड़ी दृष्टि डाली और उसके मुंह पर उँगलियाँ रख दीं। पेरी हड़बड़ाकर पीछे हट गया।
उस मजदूर ने कहा--“राजा से कह दो कि यदि आज रात को सुख से न सो सकेंगे तो कल रात को सुख से सो लेंगे।"
दूसरे मजदूरों ने भी कठोरता से हाँ में हाँ मिलाई। पेरी वहाँ से चल दिया। उसे ऐसा मालूम पड़ता था, मानो वह स्वप्न देख रहा है।
चार्ल्स बेचैनी से पेरी की बाट देख रहे थे। जब पेरी अन्दर आया तो पहरेदार ने यह जानने की इच्छा से कि राजा क्या कर रहे हैं, अन्दर झाँका। राजा कुहनी के सहारे पलंग पर लेटे हुए थे पेरी ने दरवाजा बन्द कर दिया। उसका चेहरा प्रसन्नता से लाल हो रहा था।
पेरी ने धीरे से कहा--"श्रीमन्, आपको पता है इतना शोर मचाने वाले वे मजदूर कौन हैं?"
राजा ने उदास भाव से सिर हिलाकर उत्तर दिया--"नहीं, मैं कैसे जान सकता हूँ? क्या वे आदमी मेरे परिचित हैं?"
पेरी ने पलंग पर झुककर जरा और धीरे से कहा--"श्रीमन्, वे हैं अथस और उनके साथी।"
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