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रहेगा।"

अरेमिस ने चाहा कि राजा के हाथ चूम लूँ। पर उसने तुरन्त हाथ खींचकर अपने हृदय पर रख लिया।

अकस्मात एक व्यक्ति ने बिना द्वार खटखटाए अन्दर प्रवेश किया। बहुत से गुप्तचर आस-पास लगे रहते थे। उन्हीं में से एक यह भी था। यह पादरी था।

राजा ने उससे पूछा-"आप क्या चाहते हैं?"

“मैं जानना चाहता हूँ कि चार्ल्स स्टुअर्ट की स्वीकृति खत्म हुई या नहीं?"

"इससे आपका क्या मतलब है? हम लोग तो एक ही पन्थ के मानने वाले नहीं हैं न?"

"सब आदमी भाई-भाई हैं। मेरा एक भाई मरने वाला है और मैं उसे मृत्यु के लिए तैयार करने आया हूँ!"

पेरी ने कहा- "हमारे स्वामी को शिक्षा की जरूरत नहीं है।"

अरेमिस ने धीरे से राजा से कहा-"इनसे नर्मी का व्यवहार करें, यह तो एक सेवक मात्र हैं।"

राजा ने कहा-"पवित्र पिता से मुलाकात करने के बाद मैं आपसे प्रसन्नता से बातें कर सकूँगा।"

एक संदिग्ध दृष्टि फेरता हुआ वह व्यक्ति वहाँ से चला गया। जुक्सन वेशधारी पादरी को भी उसने सन्देह की दृष्टि से देखा है, यह बात राजा से छिपी न रही।

दरवाजा बन्द हो जाने पर राजा ने कहा- "मुझे विश्वास हो गया कि तुम ठीक कहते थे। यह आदमी किसी बुरे भाव से आया था। जब तुम लौटो तो सावधान रहना। कोई आपत्ति न आ जाए।"

"श्रीमन्, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ, पर आप व्याकुल न हों। इस लबादे के नीचे मैं एक कवच पहने हुए हूँ और एक खंजर भी मेरे पास है।"

"तब जाओ मन्शेर। ईश्वर तुम्हें सकुशल रखे। यही आशीर्वाद जब मैं राजा था, तब भी दिया करता था।"

अरेमिस बाहर चला गया। चार्ल्स द्वार तक पहुँचाने आए। अरेमिस

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