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कर डालेंगे?"

अरेमिस खड़ा था। उसकी आकृति इस समय देव-तुल्य थी। उसने कहा-"श्रीमान्, मेरी चिन्ता न कीजिये। आप अपनी फिक्र कीजिए। आपके मित्रों की दृष्टि आपके ऊपर लगी हुई है। हम क्या करेंगे, यह अभी तक मैं भी नहीं जान पाया हूँ, पर हम चार आदमी हैं और चारों ही आपकी रक्षा करने पर तुले हुए हैं। रात-भर का समय है। आप सोइये, किसी बात पर चौंकिये भी नहीं। क्षण-क्षण की प्रतीक्षा कीजिये।"

चार्ल्स ने सिर हिलाकर स्वीकृति दी।

फिर कहा-"मित्र, तुम्हें ज्ञात है कि तुम्हारे पास व्यर्थ समय नहीं है। यदि तुम्हें कुछ करना ही है तो बहुत जल्दी करो। कल प्रातः दस बजे मैं जरूर मर जाऊँगा।"

"श्रीमान्, इसी बीच में कोई ऐसी घटना हो जायेगी, जिससे आपका वध असम्भव हो जायेगा।"

राजा ने अरेमिस की ओर विस्मित दृष्टि से देखा। उसी समय नीचे खिड़की के पास लकड़ी के लट्ठे के उतारने की आवाज सुनाई दी।

राजा ने कहा- “यह आवाज सुनते हो?"

आवाज के साथ-साथ चिल्लाने का शोर भी था।

अरेमिस ने कहा-"सुन रहा हूँ। पर यह शोर कैसा है, यह नहीं समझ आता।"

"क्या जाने, पर यह आवाज कैसी है, यह मैं बता सकता हूँ। तुम जानते हो कि मेरा कत्ल इसी खिड़की के बाहर होगा?"

"हाँ श्रीमान्, यह तो जानता हूँ।"

"तो ये लट्ठे मेरी पाड़ बनाने के लिए लाए जा रहे हैं। कई मजदूरों को तो इन्हें उतारते-उतारते चोट लग चुकी है।"

अरेमिस काँप उठा।

राजा ने कुछ ठहरकर कहा- "देखो, जीवन की आशा व्यर्थ है। मुझे प्राण-दण्ड की आज्ञा मिल चुकी है। तुम मुझे मेरे भाग्य पर छोड़ दो।"

अरेमिस ने कहा-"श्रीमन्, वे लोग पाड़ बना सकते हैं, पर बधिक को कहाँ से लायेंगे?"

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