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एक

इंगलैंड में आक्सफोर्डशायर के अन्तर्गत चर्चिल नामक स्थान में सन् १७३२ ईस्वी की ६ दिसम्बर को एक ग्रामीण गिर्जाघर वाले पादरी के घर में एक ऐसे बालक ने जन्म लिया जिसने आगे चलकर भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। इस बालक का नाम वारेन हेस्टिंग्स पड़ा। बालक के पिता पिनासटन यद्यपि पादरी थे, परन्तु उन्होंने हैस्टर वाटिन नामक एक कोमलांगी कन्या से प्रेम-प्रसंग में विवाह कर लिया। उससे उन्हें दो पुत्र प्राप्त हुए। दूसरे प्रसव के बाद बीमार होने पर उसकी मृत्यु हो गई। पिनासटन दोनों पुत्रों को अपने पिता की देख-रेख में छोड़कर वहां से चले गए और कुछ दिन बाद दूसरा विवाह कर वेस्ट-इन्डीज में पादरी बनकर जीवनयापन करने लगे। उन दिनों लन्दन नगर का सामाजिक जीवन पादरियों के प्रभाव से बहुत सुखी नहीं था। पादरी वहाँ सर्वोपरि बने हुए थे। उन दिनों लन्दन नगर की छः लाख जनसंख्या में पचास हजार वेश्याएँ तथा इतनी ही खानगी व्यभिचारिणी स्त्रियाँ थीं। प्रत्येक मुहल्ले के आसपास धनपतियों ने अपने-अपने जुआखाने खोल रखे थे जहाँ रात को जुआ खेला जाता, मद्य पी जाती और व्यभिचार के खुले खेल खेले जाते थे। जुआघरों के बाहर तख्ती लटकी रहती थी, जिस पर लिखा होता था—साधारण मद्य का मूल्य एक पेंस, बेहोश करने वाली मद्य का मूल्य दो पेंस, साफ-सुथरी चटाई मुफ्त।

बालक वारेन अपने दादा के यहाँ पलकर एक छोटे स्कूल में पढ़ने लगा। बालक चंचल और कुशाग्रबुद्धि था, अपना पाठ झट याद कर लेता था। दादा पहले धनीसम्पन्न और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, परन्तु कालचक्र ने