पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/८२

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का निरीक्षण समय समय पर स्वयं पहुँच कर किया करती थी। इस प्रकार बाई ने व्यवस्था तथा अधिकार का विभाग तो कर दिया था, परंतु संपूर्ण राज्य के कोष की देख भाल बाई ने अपने ही हाथ में रखी थीं, और उसका व्यय वे अपने इच्छानुसार करती थी। कहते हैं कि बाई के समय में आय-व्यय का हिसाब बहुत ही उत्तम रीति से और व्यवस्थित रहता था। क्योंकि जहाँ जहाँ राज्य में रुपया इकट्ठा रहा करता था, उन उन स्थानों पर बिना सूचना दिए ही बाई स्वयं पहुँच कर प्रथम आय-व्यय का लेखा लेती थीं। बाई का प्रभाव चारों ओर राज्य भर में एक सा रहता था। बाई के समक्ष किसी मनुष्य को हँस कर बोलने अथवा झूठी बात कहने का साहस नहीं होता था। उनको असत्य भाषण से बहुत ही घृणा होती थी। तुकोजीराव पर बाई की अधिक श्रद्धा और प्रेम देख लोगों ने दोनों के मध्य में अनबन हो जाने के हेतु से कई कारण उपस्थित किए थे; परंतु बाई पर उन बातों का कुछ भी प्रभाव न पड़ा, वरन उन मनुष्यों पर से ही बाई ने अपनी श्रद्धा कम कर दी थी।

तुकोजीराव होलकर रणविद्या में अधिक चतुर और साहसी थे; परंतु राज्य संबंधी कार्यों में वैसे निपुण नहीं थे। इसी विशेष कारण से बाई समय समय पर इनको इस कार्य के उत्तम तथा व्यवस्थित रीति से चलाने के हितार्थ उपदेश भी दिया करती थी। कभी कभी अहिल्याबाई और तुकोजी राव के बीच व्यय संबंधी बातों पर वाद विवाद भी हो जाया करता था। इसका मुख्य कारण यह था कि जब मल्हारराव