पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/८१

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किया करते थे। इनकी श्रद्धा बाई पर बहुत थी और बरताव भी एक बड़े विश्वासपात्र और सच्चे हितैषी के समान रखते थे। बाई इनको पुत्रवत् मानती थीं, यहाँँ तक कि राज्य की मुहर पर भी "खंडोजीसुत तुकोजी होलकर" नाम था । और जो बरताव एक दूसरे का था उसको इन्होंने अहिल्याबाई के अंत समय तक बहुत ही उत्तमता से निभाया ।

अहिल्याबाई और तुकोजीराव होलकर दोनों मिलकर राज्य के कार्य को संभालते थे। उस समय संपूर्ण राज्य तीन भागों में विभाजित किया गया था। पहला भाग सतपुड़ा के उस पार दक्षिण की ओर, दूसरा सतपुड़ा के उत्तर का भाग महेश्वर के चहुँ ओर जिसको मध्य भाग कहते थे, और तीसरा भाग महेश्वर के उस ओर राजपूताने तक जिसको उत्तरीय भाग कहते थे । इस उत्तरीय भाग में अधिकतर वे ही लोग निवास करते थे जो कि होलकर सरकार को चौथ देते थे। तुकोजी का पहला कार्य संपूर्ण सेना को सँभालने का था; और इसके अतिरिक्त एक भाग दक्षिण या उत्तर की व्यवस्था करना था। जिस समय तुकोजी राव दक्षिण भाग की व्यवस्था करते थे, इस समय अहिल्याबाई मध्य भाग और स्तरीय भाग की व्यवस्था का निरीक्षण करती थी, और जब तुकोजीराव उत्तरीय भाग की देख भाल करते थे उस समय बाई मध्य भाग और दक्षिण भाग को संभाला करती थीं। तुकोजीराव को मध्य भाग की व्यवस्था तथा देख भाल करने का समय कभी बाई के समक्ष नहीं आया था। इतने पर भी अहिल्याबाई तुकोजीराव की व्यवस्था