वीराजी | मल्हारराव (सूबेदार) |
जानोजी | खंडेराव, पत्नी अहिल्याबाई |
तुकोजी |
इस वंशवृक्ष से तुकोजीराव मल्हारराव के भाई बंधुओं में से थे, ऐसा प्रतीत होता है । परंतु यह वंशावली सत्य है अथवा नहीं, इसमें शंका है। क्योंकि इस वंशवृक्ष को सत्यता की कसौटी पर कसने के लिये पुराने कागजात अथवा लेख उपलब्ध नहीं हुए हैं जिनसे कि यह वंशवृक्ष पूर्ण रूप से प्रमाणित हो ।
(३). एक स्थान पर इस प्रकार भी लिखा हुआ मिलता है कि--"ऐसा कहकर अपने पालक पुत्र तुकोजीराव के साथ २० हजार सेना देकर सेंधिया के राज्य में से हो, मल्हारराव अपने देश में आए"। और एक स्थान पर--"पालक पुत्र" शब्द को पुष्ट करने के लिये इस प्रकार लिखा हुआ प्रतीत होता है कि--"आगे वंश नहीं है, ऐसा समझ कर अहिल्याबाई ने जानोजी बाबा के लड़के तुकोजीराव की उँगली पकड़ कर गद्दी पर बैठा दिया"। और इससे यह भी सिद्ध होता है कि तुकोजी का दत्तकविधान नहीं हुआ था । परंतु इन प्रमाणों के अतिरिक्त एक स्थान पर इस प्रकार भी लिखा हुआ मिला है कि --"अहिल्याबाई की मृत्यु के पश्चात् तुकोजी सेनापति के पुत्र यशवंतराव इंदौर के राज्यसिंहासन पर बैठे"। इस से यह सिद्ध होता है कि तुकोजीराव उस संपूर्ण राज्य के पूर्णाधिकारी हुए थे, इस कारण तुकोजीराव और मल्हारराव का निकटवर्ती संबंधी होना पूर्ण रूप से सिद्ध होता है, क्योंकि राज्य