पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/४

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कार्य है— तो मुझ पर पूर्ण कृपाभाव रखते और क्षमा की दृष्टि से देखते हुए, वे उन्हें शुद्ध कर लेवें। दुबे जी साहब ने मेरा नाम पुस्तक लेखकों की नामावली में लिख "दैवी श्री अहिल्या बाई के जीवन चरित्र" के लिखने का भार सन् १९१४ ईसवी के जून मास में मुझे सौंपा— यद्यपि मैंने आप से विनय पूर्वक इस महत्वपूर्ण काम को हाथ में लेने से अपनी अयोग्यता बताई तथापि आपने अपने प्रेम और योग्यता का भार मुझ पर इस प्रकार सौंपा कि मुझे आपकी आज्ञा का पालन करना अपना कर्तव्य जान पड़ा। यथार्थ में कहा जाय तो संपूर्ण श्रेय इस पुस्तक का आप को ही है, क्योंकि अपने अपने निज भंडार से तथा अन्य स्थानों से कई पुस्तकें और उनके नाम और मराठी की अनेक पुस्तकों के नाम, बाई के जीवनचरित्र के सम्बन्ध में बतलाए, और समय समय पर आपने अपने ज्ञान तथा अनुभव से परामर्श दिया, इस कारण में आपका अत्यंत कृतज्ञ हूँ। और स्वदेशबांधव पंडित शिवप्रसाद गार्गव, बी०ए०, बी० एस-सी०, भूतत्व ज्ञाता ने भी मुझे इस पुस्तक के लिखने के लिये वारंवार उत्साह दिलाया, इस हेतु से मैं आपको भी इस पुस्तक का श्रेय देता हूँ।

अंत में मुझे इन लेखकों को हार्दिक धन्यवाद देने का सुअवसर प्राप्त हुआ हैं, जिन्होंने "देवी श्रीमती अहिल्याबाई" के संबंध में लिखा है। आज यह पुस्तक उन्हीं संपूर्ण सज्जनों के परिश्रम का फल है। इस पुस्तक के लिखने में मैंने निम्नलिखित पुस्तकों को अवलोकन किया हैं—